उत्तराखंड उत्तरकाशीThere is a myth related to Ajay Kothiyal Gangotri seat

जिस गंगोत्री सीट से कर्नल कोठियाल चुनाव लड़ेंगे, वहां से जुड़ा है गजब का मिथक..जो जीता वही सिकंदर

कर्नल कोठियाल लड़ेंगे गंगोत्री सीट (ajay kothiyal Gangotri seat) से चुनाव, गंगोत्री से जुड़ा है बेहद दिलचस्प मिथक, 70 सालों से चलता आ रहा है ये मिथक

ajay kothiyal Gangotri seat: There is a myth related to Ajay Kothiyal Gangotri seat
Image: There is a myth related to Ajay Kothiyal Gangotri seat (Source: Social Media)

उत्तरकाशी: उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी जोरों-शोरों से आगामी चुनावों की तैयारी कर रही है। सीएम पद के उम्मीदवार कर्नल अजय कोठियाल उत्तरकाशी जिले की गंगोत्री विधानसभा सीट (ajay kothiyal Gangotri seat) से चुनावी मैदान में उतरेंगे। यह घोषणा दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उत्तरकाशी में मीडिया से मुखातिब होने के दौरान की है। उत्तरकाशी दौरे पर पहली बार पहुंचे मनीष सिसौदिया ने कहा कि उत्तराखंड की जनता को कर्नल अजय कोठियाल से काफी उम्मीदें है। उत्तरकाशी में बच्चे से लेकर बूढ़े तक के दिल में कर्नल अजय कोठियाल के लिए अलग ही सम्मान है। ये तो बात हुई कि आम आदमी पार्टी से गंगोत्री सीट पर कौन चुनाव लड़ रहा है। अब थोड़ी दिलचस्प बात करते हैं। क्या आप जानते हैं कि गंगोत्री विधानसभा सीट से एक बेहद ही दिलचस्प मिथक जुड़ा हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी प्रत्याशी गंगोत्री सीट से चुनाव जीत जाता है वही पार्टी सत्ता में आती है और उसी पार्टी की सरकार बनती है। यह मिथक 70 सालों से बरकरार है और इसको अभी तक कोई भी नहीं तोड़ पाया है। अब इस मिथक को मात्र एक संयोग कहें या फिर कुछ और मगर यह सच है कि देश के आजाद होने के बाद इस मिथक की शुरुआत हुई जो कि अब तक नहीं टूटा है और लगातार चलता रहा है.

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इस बात को तकरीबन 70 साल हो गए हैं और अब भी यह मिथक बरकरार है। बता दें कि उत्तराखंड राज्य गठन से पहले भी गंगोत्री विधानसभा सीट (जो कि उत्तरकाशी विधानसभा सीट हुआ करती थी) पर जो भी प्रत्याशी चुनाव जीतता था उसी पार्टी की सरकार बनती थी और वही पार्टी सत्ता में आती थी। इस मिथक के होने का सिलसिला अब भी जारी है। बता दें कि उत्तर प्रदेश में पहली बार 1982 में विधानसभा चुनाव हुए थे और तब गंगोत्री उत्तरकाशी विधानसभा सीट का हिस्सा थी और इस सीट से जयेंद्र सिंह बिष्ट ने निर्दलीय चुनाव लड़े थे और उसके बाद चुनाव जीतकर वे कांग्रेस में शामिल हो गए थे। 1952 में कांग्रेस की सरकार बनी थी। बता दें कि 1993 में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला जब उत्तरकाशी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी बर्फीया लाल चुनाव जीते थे। उस समय भारतीय जनता पार्टी को सबसे अधिक वोट मिले मगर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ने मिलकर यूपी में पार्टी बनाई।

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जब उत्तराखंड राज्य का 9 नवंबर 2000 को गठन हुआ उसके बाद भी गंगोत्री विधानसभा को लेकर यह मिथक चला आ रहा है और टूट नहीं सका है। उत्तराखंड में राज्य बनने के बाद 2002 में पहले विधानसभा चुनाव हुए जिसमें गंगोत्री सीट से कांग्रेस के विजयपाल ने चुनाव जीता और उस समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी। जब 2007 में बीजेपी के गोपाल सिंह रावत ने गंगोत्री से चुनाव लड़ा और भारी मतों से चुनाव जीता तब उत्तराखंड में भाजपा के नेता भुवन चंद्र खंडूरी की सरकार बनी। 2012 में एक बार फिर कांग्रेस के विजयपाल सजवाण द्वारा गंगोत्री सीट से चुनाव लड़ा गया और उन्होंने चुनाव जीता तब कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई। 2017 में एक बार फिर गंगोत्री से बीजेपी के टिकट पर गोपाल सिंह रावत विधायक बने और 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता संभाली। अब उत्तराखंड में 2022 के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी के साथ तमाम राजनीतिक दल चुनाव जीतने का प्रयास कर रहे हैं। अजय कोठियाल ने भी यहां से दांव खेल दिया है। अब देखना होगा कि आखिर 2022 में गंगोत्री विधानसभा (ajay kothiyal Gangotri seat) सीट से जुड़ा और 70 साल से चला आ रहा यह मिथक इस बार भी बरकार रहता है कि नहीं।