उत्तराखंड रुद्रप्रयागWater came from dried water source in Rudraprayag

रुद्रप्रयाग: सूख चुका था पौराणिक जल स्रोत, 5 महीने बाद अचानक आया पानी..लोगों ने कहा चमत्कार

रेलवे प्रोजेक्ट के काम के चलते इस पारंपरिक जल स्रोत (धारा) का अस्तित्व मिटने लगा है। लोग इसके पुनर्जीवन की मांग कर रहे हैं।

rudraprayag water source news: Water came from dried water source in Rudraprayag
Image: Water came from dried water source in Rudraprayag (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड में आज भी लोग पेयजल के लिए पारंपरिक जल स्त्रोतों पर निर्भर हैं। गांव में गदेरों-धारों को खासा महत्व दिया जाता है। इनकी पूजा तक की जाती है, ताकि आने वाली पीढ़ी प्रकृति के वरदान के महत्व को समझ सके, उससे जुड़ सके।

Water came from dried water source in Rudraprayag

रुद्रप्रयाग के गुलाबराय में भी एक पौराणिक जल धारा स्थित है। आस-पास के कई इलाकों के लोग यहां पानी भरने आते थे, लेकिन पांच महीने पहले न जाने ऐसा क्या हुआ कि धारा सूखने लगा। इससे लोग निराश थे। सोमवार को इस धारे में अचानक पानी आ गया, जिसने स्थानीय लोगों को खुशी से भर दिया। स्थानीय लोगों ने इसे चमत्कार मानते हुए मां गढ़ देवी की कृपा बताया। रुद्रप्रयाग नगर में प्रवेश करने से पहले गुलाबराय में करीब सौ साल पुराना जल धारा स्थित है। रेलवे निर्माण कार्य के चलते इस पारंपरिक जल स्रोत का पानी पूरी तरह सूख गया था, जिससे स्थानीय लोग परेशान थे। आगे पढ़िए

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ऐसा इसलिए क्योंकि इस जल स्त्रोत से ग्रीष्मकाल ही नहीं बल्कि शीतकाल में भी बड़ी संख्या में लोगों को पानी की आपूर्ति होती रही है। गर्मी में जब पेयजल संकट गहराता है तो लोग पानी के लिए इसी जलस्त्रोत पर निर्भर रहते हैं। हालांकि रेलवे प्रोजेक्ट के काम के चलते इस पारंपरिक जल स्रोत (धारा) का अस्तित्व मिटने लगा है। लोग इसके पुनर्जीवन की मांग करते रहे हैं। सोमवार को जलस्त्रोत में एक बार फिर पानी भर गया। लोग इससे खुश हैं, हालांकि लोगों में यह भी डर है कि कहीं बरसात खत्म होने के बाद धारे का पानी फिर बंद न हो जाए। स्थानीय लोग धारे का अस्तित्व बचाए रखने के लिए प्रशासन, जल संस्थान विभाग और रेलवे से इसके संरक्षण की मांग कर रहे हैं।