उत्तराखंड नैनीतालhaving intimate with consent is not dushkarm says Nainital High Court

उत्तराखंड हाईकोर्ट का बड़ा बयान, आपसी सहमति से बने जिस्मानी रिश्ते को रेप नहीं कहते

नैनीताल हाईकोर्ट ने कहा कि महिला-पुरुष के बीच शादी का झांसा देकर बने संबंध दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आते।

nainital highcourt verdict on dushkarm: having intimate with consent is not dushkarm says Nainital High Court
Image: having intimate with consent is not dushkarm says Nainital High Court (Source: Social Media)

नैनीताल: शादी के नाम पर महिलाओं के यौन शोषण के मामले लगातार सामने आते रहे हैं। महिलाओं के सामने कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है, जब शादी के वादे पर सहमति से बने संबंधों में वादाखिलाफी के बाद पुरुष पर दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज करा दिया जाता है।

having intimate with consent is not dushkarm - Nainital High Court

ऐसे मामलों को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट ने साफ कहा कि महिला-पुरुष के बीच शादी का झांसा देकर बने संबंध दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आते। मतलब अगर आपसी सहमति से दोनों के बीच जिस्मानी रिश्ते बन रहे हैं, या इस दौरान कोई जोर जबरदस्ती नहीं हो रही है, तो इसक बाद शादी से मुकरने पर इसे रेप की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। इस आधार पर कोर्ट ने संबंधित व्यक्ति के खिलाफ दुष्कर्म के आरोप में दायर प्राथमिकी और पुलिस द्वारा दिए आरोप पत्र को खारिज कर दिया। दरअसल चंपावत की एक महिला की ओर से एक अधिवक्ता पर शादी का वादा कर शारीरिक शोषण करने और विवाह न करने के मामले में केस दर्ज कराया गया था। महिला का कहना था कि आरोपी ने स्वयं को तलाकशुदा बताते हुए उससे शादी करने का वादा किया था। महिला ने आरोप लगाया कि सहमति से बने संबंधों के बाद वह गर्भवती हो गई लेकिन विवाह न होने के कारण उसने गर्भपात करा लिया।

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आरोप के अनुसार अधिवक्ता बाद में विवाह करने से मुकर गया, जिस पर महिला ने उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई। नैनीताल हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति शरद शर्मा के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याची के अधिवक्ता ने दलील दी कि दोनों के संबंधों में कोई जोर जबरदस्ती या कोई भी ऐसा दबाव नहीं था, जिससे यह मामला धारा 376 में दर्ज हो सके। यह आपसी सहमति का मामला है न कि जबरन संबंध बनाने का। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2021 के निर्णय का हवाला भी दिया गया, जिसमें ऐसे मामलों की विस्तृत व्याख्या करते हुए सहमति से बने और जबरन बनाए गए संबंधों का अंतर स्पष्ट करते हुए ऐसे संबंधों को दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं माना गया है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद हाईकोर्ट ने दर्ज प्राथमिकी और संबंधित चार्जशीट को निरस्त करने के आदेश दिए हैं।