चमोली: जोशीमठ में हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। जमीन फट रही है, लोगों के घर उनकी आंखों के सामने तबाह हो रहे हैं। जोशीमठ में आई आपदा का असर निश्चित तौर पर चारधाम यात्रा पर भी पड़ेगा।
Joshimath Sinking and Badrinath Yatra 2023
बदरीनाथ यात्रा का संचालन इस बार भी जोशीमठ मार्ग से किया जा सकता है, वो इसलिए क्योंकि आपदा से हेलंग-मारवाड़ी बाईपास भी प्रभावित हुआ है। इस बाईपास की लंबाई छह किलोमीटर है। यह जोशीमठ से मारवाड़ी पुल के पास बदरीनाथ हाईवे से मिलता है। जोशीमठ में ट्रैफिक का दबाव कम करने के लिए इसका निर्माण किया जा रहा है। काम पूरा होने पर बदरीनाथ की दूरी लगभग 27 किलोमीटर कम हो जाएगी। चिंता वाली बात ये है कि भूधंसाव से हेलंग-मारवाड़ी बाईपास भी प्रभावित हुआ है। यह आधा दर्जन से ज्यादा जगहों पर धंस गया है। फिलहाल इसके निर्माण पर रोक लगी हुई है, लेकिन अगर रोक हट भी गई तो भी इसका काम पूरा होने में दो से ढाई साल का वक्त लगना तय है। आगे पढ़िए
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ऐसे में चारधाम यात्रा का संचालन जोशीमठ मार्ग से करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इतना जरूर है कि राज्य सरकार बदरीनाथ धाम की यात्रा को नियंत्रित स्वरूप में चलाने समेत तमाम पहलुओं पर विचार कर रही है। चारों धामों के कपाट खुलने की तिथियां तय होने के बाद यात्रा के संबंध में फैसला लिया जाएगा। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि समस्या हल करने के लिए सरकार पूरी कोशिश कर रही है। जोशीमठ के घटनाक्रम का चारधाम यात्रा पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जोशीमठ की समस्या हल करने के लिए सरकार पुरजोर प्रयास कर रही है। जोशीमठ के कुछ हिस्से में भूधंसाव की समस्या है, लेकिन बदरीनाथ की तरफ और जोशीमठ के आसपास की पहाड़ियों के लिए कोई खतरा नहीं है। बदरीनाथ यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ाव जोशीमठ में जनदबाव कम करने के प्रयास किए जाएंगे। उधर जोशीमठ में भूधंसाव के कारण असुरक्षित हो चुके भवनों का ध्वस्तीकरण सोमवार को भी पूरा दिन चलता रहा। जेपी कालोनी में भूधंसाव से प्रभावित 14 भवनों को भी गिराने का काम जारी है। जोशीमठ में विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या 933 तक पहुंच गई है।