उत्तरकाशी: उत्तराखंड के खाने की बात ही कुछ और है। स्वाद के साथ-साथ औषधीय गुण समेटे उत्तराखंड के तमाम खान-पान विश्व प्रसिद्ध हैं। इन्ही पहाड़ी खानों में से एक है हर्षिल की राजमा।
Uttarakhand Harshil Valley Rajma
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में स्थित हर्षिल घाटी अपनी नैसगिर्क सुंदरता के साथ-साथ इन अनोखी राजमा के लिए भी विख्यात है। हर्षिल की राजमा की कीमत 250 से 300 रुपये प्रति किलोग्राम है। राजमा भारत के उत्तराखंड के पर्वतीय भागों, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक के कुछ भाग तथा तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश में उगाया जाता है। मगर उत्तराखंड का राजमा इन सब में सबसे अधिक विख्यात है। यूँ तो पूरे उत्तरकाशी जिले में ही राजमा का अच्छा-खासा उत्पादन होता है, लेकिन इसमें भी हर्षिल घाटी की राजमा का कोई जवाब नहीं। अपने विशिष्ट गुणों के कारण बाजार में इसकी खासी मांग है। स्वाद में लाजवाब, विटामिन, फाइबर और अन्य खनिजों से भरपूर हर्षिल की राजमा प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का भी एक अच्छा स्रोत है।
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मगर क्या आप जानते हैं कि इन हर्षिल राजमा की तारे सीधा-सीधा इंग्लैंड से जुड़ी हैं और आज जो भी हर्षिल राजमा खा रहा है इसका व्यापार कर रहा है इसका श्रेय हम अंग्रेजों को देते हैं। रह गए न हैरान? इन राजमा का भी अपना एक अलग इतिहास है। तो चलिए आपको बताते हैं कि कैसे ईस्ट इंडिया कंपनी ने उत्तरकाशी को यह राजमा दिए और आज यह विश्व प्रसिद्ध बन गए हैं। हर्षिल घाटी में राजमा को पहुंचाने का श्रेय ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी फ्रेडरिक विल्सन को जाता है। राजकीय महाविद्यालय उत्तरकाशी में वनस्पति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डा. महेंद्र पाल सिंह परमार बताते हैं कि वर्ष 1850 से 1860 के बीच विल्सन सेब और राजमा को इंग्लैंड से यहां लाए थे। उन्होंने स्थानीय निवासियों को इसके बीज उपलब्ध कराए, जिसे कालांतर में हर्षिल की राजमा (Harshil Valley Rajma) के नाम से प्रसिद्धि मिली और आज यह सबसे महंगे राजमा की कैटेगरी में आते हैं।