उत्तराखंड अल्मोड़ा1000 cedar trees will not be cut in Jageshwar

उत्तराखंड: जागेश्वर में सड़क के लिए नहीं कटेंगी शिव की जटायें, CM धामी ने कहा..दोबारा होगा सर्वे

नागेशे दारुका वने.. इस श्लोक का अर्थ है कि देवदार के वन में नागेश यानि महादेव शिव निवास करते हैं। देवदार को शिव की जटाएं भी कहा गया है...

Jageshwar Dham: 1000 cedar trees will not be cut in Jageshwar
Image: 1000 cedar trees will not be cut in Jageshwar (Source: Social Media)

अल्मोड़ा: "नागेशे दारुका वने".. इस श्लोक का अर्थ है कि देवदार के वन में नागेश यानि महादेव शिव निवास करते हैं। देवदार को शिव की जटाएं भी कहा गया है। जागेश्वर धाम की कल्पना बिना देवदार के पेड़ों के नहीं की जा सकती।

1000 Deodar Trees will not be cut in Jageshwar

जागेश्वर धाम में देवदार के 1000 पेड़ काटे जाने पर रोक लग गयी है। CM पुष्कर सिंह धामी ने सड़क निर्माण को लेकर दोबारा सर्वे के निर्देश दे दिए हैं। जागेश्वर धाम में मास्टर प्लान के अंतर्गत सड़क चौड़ीकरण कार्य में पेड़ों के संभावित कटान पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों को सर्वे की पुनः समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं। सड़क चौडीकरण को लेकर सोशल मीडिया पर #SaveJageshwar की मुहिम चल पड़ी थी, जो अब रंग लाने लगी है। जागेश्वर धाम के महंत, पुजारियों से लेकर स्थानीय निवासियों ने सड़क के लिए देवदार के 1000 पेड़ों को काटने के खिलाफ आवाज़ उठायी थी।

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उत्तराखंड के वरिष्ठ मीडिया कर्मी रमेश भट्ट ने भी इस मुद्दे पर मुखर होकर अपनी बात रखी, उन्होंने कहा कि "देवदार के वृक्ष सदियों से जागेश्वर धाम की पहचान रहे हैं। इनको काटना मतलब साक्षात भोलेनाथ को रुष्ट करने जैसा है। अच्छा है इस फ़ैसले पर पुनर्विचार किया जा रहा है। प्रकृति से क्या कभी कोई जीत पाया है ?"
सैकड़ों साल पुराने देवदार के वृक्षों को शिव की जटाएं कहा जाता है। अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जागेश्वर धाम में मास्टर प्लान के अंतर्गत सड़क चौड़ीकरण कार्य में पेड़ों के संभावित कटान को लेकर एक बार फिर से सर्वे करने के निर्देश दे दिए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हम इकोलॉजी और इकोनॉमी के बेहतर समन्वय के साथ प्रदेश को विकास के पथ अग्रसर करने हेतु प्रतिबद्ध हैं। अपने फैसलों से दिल जीत रहे CM धामी का ये फैसला भी स्वागतयोग्य है।