: ऐसी कहानियां हमेशा दिल में देशभक्ति का जूनुन पैदा करती हैं। नवंबर 2017 में उत्तराखंड का एक और लाल देश की रक्षा के लिए अपनी कुर्बानी दे गया था। 27 साल का ये नौजवान अपने परिवार का इकलौता बेटा था। उसे जल्द ही छुट्टियों पर घर आना था। दरअसल घर में शादी की तैयारियां चल रही थी। परिवार के इकलौते बेटे के लिए मां ने कई सपने संजोए थे। पिता ने सोचा था कि घर में एक बहू आएगी, तो बूढ़े शरीर को कुछ राहत मिलेगी। लेकिन 27 साल की उम्र में ही वो लाल हमें छोड़कर चला गया। ये कहानी पढ़कर आपके दिल में भी देशभक्ति का जुनून उफान मारेगा। क्या आप जानते हैं कि शहीद होने से पहले हमारी धरती का लाल आतंकियों को मौत की नींद सुला चुका था। बताया जाता है कि इससे पहले सूरज ने एक ऑपरेशन में भारतीय सेना के लिए अहम रोल अदा किया था।
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आतंकियों के खात्मे में इस जवान ने अपने शौर्य और हुनर का परिचय दिया था। सीमा पार से खबर मिली थी कि कुछ आतंकी घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे हैं। जिस दल को आतंकियों के खात्मे के लिए भेजा गया था, उस दल में सूरज सिंह तोपाल भी थे। खबर है कि चमोली जिले के लाल ने दो आतंकियों को मार गिराया था। ऐसा था उत्तराखंड का वीर सपूत सूरज सिंह तोपाल। ये कहानी युगों युगों तक देवभूमि में दोहराई जाएगी। साहस और वीरता की अदम्य कहानी लिखकर ये लाल तो चला गया लेकिन अपनी कई यादें अपने पीछे छोड़ गया। घर के एकलौते बेटे के लिए घर वाले एक लड़की की तलाश रहे थे। घर वाले रिश्ता खोजने के लिए उत्साहित थे। आने वाली बहू के लिए दिल में मां-बाप ने कई उम्मीदें पाली थी। शादी के लिए नए-नए सपने संजोए जा रहे थे, लेकिन इस बीच बेटे के शहादत की खबर ने इस सपने को तोड़ दिए।
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हंसी खुशी जी रहे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। जब तिरंगे में लिपटा शहीद सूरज का पार्थिव शरीर घर पहुंचा तो चारों तरफ चीख पुकार मच गई। भारत माता के जयघोष गूंजता फलोटा गांव एक अलग कहानी लिख रहा था। सूरज सिंह की शादी नहीं हुई थी। इस वजह से इन दिनों उनकी शादी की बात चल रही थी। मां विमला देवी, पिता नारायण सिंह और बहन सोनम सूरज के लिए रिश्ता खोजने के लिए उत्साहित थे, लेकिन जैसे ही सूरज के शहीद होने की खबर आई पूरे क्षेत्र में सन्नाटा पसर गया। धन्य है देवभूमि का ये लाल, जिसने अपनी मातृभूमि की रक्षा की खातिर अपने सपनों को कुर्बान कर दिया।