: 15 अगस्त का दिन...हर्ष और उल्लास का दिन, उन वीरों को याद करने का दिन जिन्होंने कुर्बानियां देकर देश को गुलामी की बेड़ियों से आज़ाद कराया। कुर्बानी का ये सिलसिला लगातार चला आ रहा है। हमारा सबसे बड़ा दुश्मन हमारा पड़ोसी मुल्क है। पाकिस्तान लगातार आतंकियों से घुसपैठ कराता है और हमारे सैनिक उसके घुसपैठियों को मुंहतोड़ जवाब भी देते हैं। आतंकियों से लोहा लेते हुए हमारे वीर अमर हो जाते हैं। आइए 15 अगस्त पर इन वीरों में से एक वीर की कहानी आपको बताते हैं, जिसने सरहद पर लड़ते हुए अपनी जान गंवा दी। बेटा सरहद पर शहीद हो गया और पिता सरहद पर तैनात हैं। ये कहानी है हमीर पोखरियाल की। उत्तरकाशी के पोखरियाल गांव का बेटा...गढ़वाल राइफल का ये जांबाज राष्ट्रीय राइफल में तैनात था। 27 अप्रैल को हमीर पोखरियाल छुट्टी पर आए थे और मई में ड्यूटी पर वापस गए थे। उस दौरान हमीर ने अपनी गर्भवती पत्नी पूजा ने डिलीवरी के वक्त छुट्टी पर आने की बात कही थी। लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था। शहीद की गर्भवती पत्नी के कोख में पल रही जान अपने पिता को नहीं देख पाई। ऐसे हालातों में देश की रक्षा के लिए शहीद होने वाले जवानों पर आखिर कोई गर्व क्यों ना करे? 6 अगस्त 2018 यानी सोमवार को अचानक हालात बदल गए। कश्मीर का गुरेज सेक्टर गोलियों की दनदनाहट और गोलाबारी से हिल उठा। इस दौरान 36 राष्ट्रीय राइफल के जवानों ने मजबूती से आतंकियों का सामना किया। इसी इसी मुठभेड़ में एक मेजर और चार जवान शहीद हो गए थे। उत्तराखंड के हमीर सिंह पोखरियाल और मनदीप सिंह रावत ने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।
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परिवार को इस बात की खबर मिली, तो हर किसी का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। शहीद के घर में उनकी गर्भवती पत्नी पूजा देवी, ढाई साल की बेटी अन्वी, मां राजकुमारी देवी और भाई सुनील पोखरियाल थे। अन्वी को कुछ सूझ नहीं रहा था कि आखिर ये क्या हो रहा है ? पिता को फोन पर इस बात की जानकारी दी गई तो वो फफक कर रो पड़े। हालात ऐसे बने कि किसी को कुछ सूझ ही नहीं रहा है कि आखिर क्या करें ? आखिर कब तक किसी का बेटा, किसी का भाई, किसी का पिता सरहद पर शहीद होता रहेगा ? क्यों किसी के पास इन सवालों का जवाब नहीं है? आपको जानकर हैरानी होगी कि उत्तराखंड ने उसी दौरान करीब 9 वीर सपूतों को खो दिया। उत्तराखंड के इस वीर सपूत को राज्य समीक्षा की टीम का शत शत नमन।