उत्तराखंड new rishikesh railway station

देवभूमि के चार धाम रेल नेटवर्क से जुड़ी अच्छी खबर, दिखने लगा न्यू ऋषिकेश स्टेशन

इस वक्त देशभर की नज़रें उत्तराखंड के चार धाम रेल नेटर्क पर हैं और उससे जुड़ी एक अच्छी खबर भी सामने आ गई है।

Chardham yatra: new rishikesh railway station
Image: new rishikesh railway station (Source: Social Media)

: भारतीय रेलवे और पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है चार धाम रेल नेटवर्क। इस वक्त ऋषिकेश-कर्णाप्रयाग रेल नेटवर्क का काम बहुत तेजी से चल रहा है। सरकार ने तय किया है कि साल 2024 तक इस रेल नेटवर्क को तैयर कर दिया जाएगा और 2025 से इस पर ट्रेन चलनी भी शुरू हो जाएगी। इसी योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए एक बेहतरीन खबर सामने आई है। ऋषिकेश में इस परियोजना का पहला रेलवे स्टेशन तैयार हो रहा है। इसे न्यू ऋषिकेश स्टेशन नाम दिया गया है। आप भी यहां आएंगे तो आपको न्यू ऋषिकेश रेलवे स्टेशन नाम का बोर्ड नज़र आएगा। लोग ये देखकर ही उत्साह से सराबोर हो रहे हैं। ऋषिकेश में वीरभद्र से न्यू ऋषिकेश रेलवे स्टेशन के लिए आने वाली रेल लाइन पर बेहद ही तेज़ गति से काम हो रहा है।

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न्यू ऋषिकेश रेलवे स्टेशन में इस वक्त प्लेटफॉर्म और भवन तैयार हो रहा है। बायपास मार्ग पर रेलवे अंडर ब्रिज और देहरादून मार्ग पर रेल ओवर ब्रिज का काम तेजी से हो रहा है। चंद्रभागा नदी रेल ब्रिज का काम भी बेहद तेज़ी से चल रहा है। इस वक्त चार धाम रेल नेटवर्क का काम सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। 16 सुरंग और 16 रेल पुलों से होकर गुजरने वाली इस रेल लाइन पर देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर की नज़रें टिकी हैं। इस रेल लाइन पर 16 सुरंगों में से 5 सुरंगें ऐसे हैं, जो नौ किलोमीटर से भी ज्यादा लंबी हैं। साथ ही खास बात ये है कि इस रेल परियोजना में ही देश की सबसे लंबी रेलवे सुरंग भी तैयार की जा रही है। सबसे बड़ी सुरंग की लंबाई 15100 मीटर होगी। इस रेल नेटवर्क में पर्यावरण को देखते हुए धुएं का जरा भी इस्तेमाल नहीं होगा।

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केदारनाथ और बदरीनाथ को जोड़ने वाले रेल नेटवर्क में 100 फीसदी इलैक्ट्रिक ट्रेन चलेगी।गंगोत्री और यमुनोत्री को मोनोरेल, फ्यूनीकुलर और रोपवे से जोड़ा जाएगा। वजह ये है कि रेल नेटवर्क को विदेशों की तर्ज पर और भी ज्यादा आकर्षक बनाया जाए। इस तरह से और भी ज्यादा श्रद्धालु देवभूमि में आ सकें। रोपवे और मोनोरेल के बारे में तो आप जानते ही होंगे। शिमला-कालका के बीच मोनोरेल चलती है, जिससे हर साल राज्य को अच्छा-खासा मुनाफा होता है। फ्यूनीकुलर के लिए पटरियां ही बिछती हैं लेकिन ये ज्यादा ऊंचाई पर चलाने के लिए बेहद कारगर होता है। फिलहाल सरकार की नज़रें खासतौर पर ऋषिकेष-कर्णप्रयाग रेल नेटवर्क पर हैं। ये एक ऐसी चुनौती है, जिसे हर हाल में वक्त पर पूरा भी करना है। उम्मीद है कि 2014 का ये मिशन वक्त पर ही पूरा होगा।