उत्तराखंड बागेश्वरyouth died due to 108 ambulance not run

उत्तराखंड की दर्दनाक खबर..एंबुलेंस नहीं मिली, गांव के लड़के ने रास्ते में ही दम तोड़ा

उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल क्या है ? एक बार फिर से एक युवा की दर्दनाक मौत हो गई। क्योंकि उसे एंबुलेंस ही नहीं मिली।

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Image: youth died due to 108 ambulance not run (Source: Social Media)

बागेश्वर: इसे उत्तराखंड का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि 108 सेवा बुरे हाल में है। लापरवाही और बदइंतजामी का आलम ऐसा है कि एक और युवा को मौत को गले लगाना पड़ा। बीते कुछ दिन पहले ही 108 एंबुलेंस में तेल खत्म होने की वजह से एक मौत हुई थी। हैरान करने वाली बात ये है कि एक बार फिर से एंबुलेंस में तेल नहीं था और एक युवा की फिर से मौत हो गई। अब यविजय रौतेला के घर में रोजी रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है क्योंकि परिवार में कमाने वाला वो एक ही शख्स था। बताया जा रहा है कि कमस्यार घाटी के नरगोली (बागेश्वर) गांव का विजय रौतेला छुट्टी पर गांव आया हुआ था। वो गुजरात के सूरत शहर में प्राइवेट नौकरी करता था। गांव आकर उसकी तबियत अचानक बिगड़ गई। जिसके बाद गांववाले उसे रात साढ़े 10 बजे बेड़ीनाग के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए।

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प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. सिद्धार्थ पाटनी ने मरीज की गंभीर हालत को देखते हुए उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया। डॉक्टर द्वारा रेफर किए जाने के बाद परिजनों ने 108 एंबुलेंस में डीजल डालकर मरीज को अल्मोड़ा तक पहुंचाने की गुहार लगाई, लेकिन नियमों का हवाला देकर मना कर दिया गया। जिसके बाद गांववाले विजय को जीप से अल्मोड़ा के लिए रवाना हुए। हालत ये है कि जब ग्रामीणों ने अल्मोडा से 108 एंबुलेंस भिजवाने को कहा तो वहां से भी कहा गया कि एंबुलेंस सिर्फ 6 किलोमीटर तक ही आ पाएगी। इस बीच, इलाज के अभाव में तड़प रहे विजय ने बेड़ीनाग से 63 किलोमीटर दूर धौलछीना में दम तोड़ दिया। विजय का प्राथमिक इलाज करने वाले प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. सिद्धार्थ पाटनी ने बताया कि रात साढे 10 बजे मरीज को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था।

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विजय रौतेला को ग्लूकोज, ऑक्सीजन चढ़ा कर बड़े अस्पताल को रेफर किया गया था। बेड़ीनाग, थल और गंगोलीहाट में 108 एंबुलेंस नहीं मिलने पर परिजन मरीज को जीप से ले गए। डॉ. पाटनी का कहना है कि एंबुलेंस में मरीज को लगातार ऑक्सीजन और अटेंडेंट मिल जाता और ग्लूकोज के अलावा आवश्यक दवाएं भी दी जा सकती थीं। लेकिन हकीकत यही है कि 108 सेवा की लापरवाही की वजह से एक शख्स की जान बचायी नहीं जा सकी। जिस सेवा को लोगों की जान बचाने के लिए शुरु किया गया था, वो सेवा अब उत्तराखंड में दम तोड़ती नज़र आ रही है। मृतक विजय की मौत के बाद उनके परिवार के सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया है। सवाल ये है कि आखिर इस मौत का जिम्मेदार कौन है? बदहाल सिस्टम या लापरवाह 108 ?