: देहरादून नगर निगम के रिजल्ट अब सभी के सामने हैं। सुनील उनियाल गामा ने बंपर वोटों के साथ जीत हासिल कर मेयर की कुर्सी पर कब्जा किया है। क्या आप जानते हैं कि कभी सुनील उनियाल गामा देहरादून में ही पान की दुकान चलाते थे और नगर पालिका द्वारा उनकी दुकान अतिक्रमण के दौरान हटाई गई थी। जिस देहरादून में नगर पालिका ने उनकी दुकान हटा कर उन्हें बेरोजगार कर दिया, आज गामा वहीं नगर निगम के मेयर बने हैं। सुनील उनियाल गामा मूल रूप से ढुंगसिर थापली गांव, टिहरी गढ़वाल के निवासी है। कई दशक पहले उनका परिवार देहरादून में आकर बस गया था। उनके पिता स्वर्गीय सत्य प्रकाश उनियाल जाने-माने ज्योतिषी थे और मां प्रेमा देवी गृहिणी थी। सुनील उनियाल गामा ने गांधी इंटर कॉलेज से पढ़ाई की थी और साल 1981 में पान की दुकान खोली।
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कुछ वक्त बाद उन्होंने नटराज पिक्चर हॉल के बाहर भी एक छोटी सी दुकान खोली। साल 2000 तक उन्होंने ये दुकान चलाई। उसी साल अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया और इसके तहत उनकी दुकान भी हटा दी गई। इसके बाद उन्होंने राजनीति में उतरने का ही मन बना लिया। 1989 में जब नगर पालिका देहरादून के चुनाव हुए तो 27 साल के बतौर निर्दलीय प्रत्याशी सभासद पद पर ताल ठोकी। उस वक्त गामा को करारी हार का सामना करना पड़ा। वो चौथे नंबर पर रहे और बिना तैयारी के चुनाव लड़ने से तौबा कर दी। इसके बाद वो बीजेपी संगठन से जुड़े, संगठन में खुद को मजबूत किया और लोगों के बीच रहकर काम किया। तीन दशक से उस पहली हार की चीस गामा को परेशान करती रही और आखिरकार 30 साल बाद वो मेयर पद पर जीत हासिल कर उस कसक को मिटाने में सफल हुए।
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अपनी पत्नी शोभा उनियाल, बेटी श्रेया, बेटे शाश्वत और अन्य परिजनों के साथ उन्होंने इस जीत की खुशी मनाई। गामा के बेटे शाश्वत एमटेक कर रहे हैं और बेटी श्रेया पढ़ाई कर रही हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीबी और संगठन में पैठ का नतीजा ये रहा कि निगम के तमाम मुद्दों में उनकी बातें सुनी गई।