उत्तराखंड देहरादूनBijli chori in uttarakhand

उत्तराखंड में ‘बत्ती गुल-मीटर चालू’, ऐसे हो रहा है 800 करोड़ का नुकसान!

यूपीसीएल उत्तराखंड में बिजली चोरी रोकने की बजाय, बिजली चोरी के मामलों पर पर्दा डालने में जुटा है। हर साल विभाग को 8 सौ करोड़ से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

उत्तराखंड: Bijli chori in uttarakhand
Image: Bijli chori in uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: ऊर्जा प्रदेश उत्तराखंड में बिजली चोरी थम नहीं रही। बिजली चोरों के हौसले बुलंद हैं, तो वहीं यूपीसीएल प्रबंधन बिजली चोरों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय इसे छिपाने में लगा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक बिजली चोरी के बढ़ते मामलों पर पर्दा डालने के लिए यूपीसीएल इसे लाइन लॉस का नाम दे रहा है, लेकिन हकीकत ये है कि ये मामले लाइन लॉस के नहीं, बल्कि बिजली चोरी के हैं। प्रदेश में ऐसी पांच डिवीजन हैं, जहां लाइन लॉस 30 से 49 फीसदी है, जिस वजह से बिजली विभाग को हर साल करीब 8 सौ करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो रहा है। लाइन लॉस में करीब 90 फीसदी मामले बिजली चोरी के हैं, लेकिन विभाग बिजली चोरी रोकने के लिए अब तक कोई ठोस रणनीति नहीं बना पाया है। उल्टा बिजली चोरी पर पर्दा डालने के लिए अधिकारी इन मामलों को लाइन लॉस का मामला बता रहे हैं। बता दें कि लाइन लॉस के कारण यूपीसीएल को हर साल 800 करोड़ से ज्यादा का नुकसान झेलना पड़ता है।

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इस नुकसान की भरपाई के लिए यूपीसीएल की ओर से बिजली दरों में आंशिक वृद्धि की जाती है। जिसका खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ता है। उत्तराखंड राज्य प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न है। यहां पर बड़े पैमाने पर बिजली का उत्पादन किया जाता है, बड़ी-बड़ी बिजली परियोजनाओं के जरिए राज्य ना केवल अपनी बल्कि पड़ोसी राज्यों की बिजली की जरूरत भी पूरी करता है, लेकिन ऊर्जा प्रदेश होने के बावजूद यहां के लोग बिजली की कटौती से जूझ रहे हैं। यही वजह है कि बिजली चोरी के बढ़ते मामलों पर अब उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने सख्त रूख अपनाया है। लाइन लॉस में देहरादून, हरिद्वार, बागेश्वर, उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग की डिवीजन सबसे ऊपर है। विद्युत नियामक आयोग ने यूपीसीएल को सबसे ज्यादा लाइन लॉस वाले डिवीजन को चिन्हित कर इसमें सुधार लाने के निर्देश दिए हैं। यूपीसीएल ने भी बिजली चोरी की बात मानी है, और इस संबंध में उचित कार्रवाई करने की बात कही है।