: बदरीनाथ धाम में गुरुवार को इंसानों के बीच हुए विवाद का खामियाजा भगवान को भुगतना पड़ा...भगवान भूखे-प्यासे रहे, दो घंटे तक उन्हें भोग नहीं लग सका...परेशानी भगवान के भक्तों को भी हुई, जिनके लिए मंदिर में दाखिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस दौरान दो घंटे तक ना तो भगवान बद्रीश भक्तों से मिल सके और ना ही श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर पाए। चलिए अब आपको पूरा मामला बताते हैं। पता चला है कि एसडीएम वैभव गुप्ता की मंदिर समिति के सीईओ बीडी सिंह से कहासुनी हो गई थी। आरोप है कि पद के रौब में एसडीएम अपना काम भूल समिति के सीईओ से अभद्रता कर बैठे, ये ही बात सीईओ बीडी सिंह और मंदिर समिति के कर्मचारियों को खटक गई। एसडीएम अपनी गलती सुधारने को तैयार नहीं हुए तो गुस्साए कर्मचारी धरने पर बैठ गए और एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने लगे। ये विवाद करीब दो घंटे तक चला, इस दौरान श्रद्धालु भगवान बदरी विशाल के दर्शन नहीं कर पाए। चश्मदीदों ने बताया कि एसडीएम साहब ने सीईओ बीडी सिंह से बदसलूकी की। वो अपने पद का रौब झाड़ते हुए सीईओ की कुर्सी पर बैठ गए और बीसी सिंह से अभद्रता करने लगे। वहां मौजूद कर्मचारियों को ये बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। देखते ही देखते वहां कर्मचारियों की भीड़ जुट गई और उन्होंने एसडीएम का विरोध करना शुरू कर दिया।
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बदरीनाथ धाम के आम लोग भी बीडी सिंह के सपोर्ट में आ गए। कर्मचारियों ने मंदिर में श्रदालुओं के दर्शन बंद करवा दिए। मंदिर समिति के कर्मचारी एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर मंदिर परिसर में ही धरने पर बैठ गए। इस वजह से भगवान को भोग भी नहीं लग पाया, भगवान बद्रीश को दोपहर 12 बजे भोग लगाया जाना था, लेकिन उसमें भी 2 घंटे की देरी हो गई। बाद में चमोली की डीएम स्वाति एस भदौरिया को इस बारे में सूचना दी गई। इस मामले में जिलाधिकारी के हस्तक्षेप के बाद एसडीएम वैभव गुप्ता में अपने व्यवहार के लिए लिखित रूप में मंदिर समिति के सीईओ बीडी सिंह से माफी मांगी। तब कहीं जाकर कर्मचारी शांत हुए। इसके साथ ही मंदिर में श्रद्धालुओं की आवाजाही फिर शुरू हो गई। खैर ये तो हुई मंदिर समिति और प्रशासन की बात, लेकिन गुरुवार को जो हुआ वो दोबारा नहीं होना चाहिए। चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालु पूरी दुनिया से बड़ी आस-उम्मीद के साथ उत्तराखंड पहुंचते हैं, अगर यहां भी उन्हें भगवान के दर्शन के लिए घंटों इंतजार करना पड़े तो ये सही नहीं होगा। इससे पूरी दुनिया में उत्तराखंड को लेकर गलत संदेश जाएगा, जिसका असर यहां के पर्यटन पर पड़ेगा।