उत्तराखंड LIFE STORY OF AJIT DOVAL OF UTTARAKHAND

देवभूमि के अजीत डोभाल के सामने इस बार भी कड़ी चुनौतियां..PM मोदी ने जताया भरोसा

पहाड़ के अजीत डोभाल अब एनएसए के साथ कैबिनेट मंत्री भी हैं, आने वाले पांच साल में उनकी ताकत में और इजाफा होगा..मोदी सरकार के लिए वो क्यों अहम हैं चलिए जानते हैं

उत्तराखंड: LIFE STORY OF AJIT DOVAL OF UTTARAKHAND
Image: LIFE STORY OF AJIT DOVAL OF UTTARAKHAND (Source: Social Media)

: जेम्स बॉन्ड सीरीज आपको भी लुभाती होगी, बेबी...रॉ...फैंटम जैसी फिल्मों में आपने अंडरकवर एजेंट्स को भी देखा होगा...चलो ये तो हुई फिल्मो की बात पर हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल एक अंडरकवर एजेंट की जिंदगी ना केवल जी चुके हैं, बल्कि हर चुनौती को पार करने में सफल भी रहे हैं। अजीत डोभाल अब ना केवल एनएसए हैं, बल्कि कैबिनेट दर्जाधारी भी हैं। वो उन लोगों में से हैं जिनका नाम नहीं, काम बोलता है। अजीत डोभाल तेज-तर्रार अधिकारी के तौर पर जाने जाते हैं। चीन से साथ हुए डोकलाम विवाद के दौरान भारत ने जो स्टैंड लिया उसके पीछे भी अजीत डोभाल का ही दिमाग था। उन्हें भारत का जेम्स बॉन्ड कहा जाए तो गलत नहीं होगा, वो अपने करियर में कई अंडरकवर ऑपरेशंस को अंजाम दे चुके हैं। पाकिस्तान में वो 7 साल तक अंडरकवर एजेंट के तौर पर काम करते रहे, वो वहां मुस्लिम बनकर रहे, लोगों से जान-पहचान बढ़ाई। मस्जिदों में भी जाते थे।

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यही नहीं कहते हैं कि एक बार किसी पाकिस्तानी ने डोभाल के छिदे हुए कान देखकर उन्हें पहचान लिया था, तब अजीत डोभाल ने कानों की सर्जरी तक करा दी थी। उनके शानदार कार्यकाल और कारनामों की लंबी फेहरिस्त है। अपने 37 साल के करियर में वो तमाम उपलब्धियां हासिल करने में सफल रहे। बात चाहे सिक्किम के भारत में विलय की हो, खालिस्तानी आतंकवाद से निपटना हो या फिर आतंकवाद का खात्मा करने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक का फैसला...अजीत डोभाल हर मोर्चे पर खुद को साबित करते दिखे। इंटेलीजेंस से लेकर राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़े मामलों में उनकी भूमिका हमेशा अहम रही। ये हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि भारत मां का ये सपूत देवभूमि उत्तराखंड में जन्मा। अजीत डोभाल का जन्म 1945 में पौड़ी गढ़वाल के घिरी बनेलसियुन गांव में हुआ। उनके पिता सेना में मेजर थे। यह भी पढें - उत्तराखंड में इस तरह की अफवाह न फैलाएं..सांसद अनिल बलूनी ने दिया करारा जवाब
अजीत डोभाल की स्कूली शिक्षा अजमेर के राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल में हुई।

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आगरा यूनिवर्सिटी से 1967 में डोभाल ने अर्थशास्त्र में मास्टर्स किया। वो केरल कैडर के आईपीएस अधिकारी होने के साथ ही 1988 में भारतीय सेना का प्रतिष्ठित कीर्ति चक्र पाने वाले पहले पुलिस अधिकारी भी बने। वर्ष 1971 से 1999 के दौरान देश में हुई 15 विमान हाईजैकिंग के दौरान अजीत डोभाल हर बार अपहर्ताओं से वार्ताकारों में शामिल रहे। उनके शानदार काम की बदौलत ही आईपीएस से रिटायर होने के बाद उन्हें 2005 में आईबी का निदेशक बनाया गया। साल 2014 में केंद्र सरकार ने उन्हें पहली बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया। इस कार्यकाल के दौरान अजीत डोभाल के नेतृत्व में जिन महत्वपूर्ण ऑपरेशंस को अंजाम दिया गया, उसने साबित कर दिया कि ये फैसला सही था। मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में आने के बाद अजीत डोभाल की ताकत भी बढ़ी है अब वो एनएसए के साथ कैबिनेट मंत्री का दर्जा हासिल कर चुके हैं। सर्जिकल स्ट्राइक हो या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा के अन्य मुद्दे अजीत डोभाल बीते 5 सालों के दौरान मोदी सरकार के लिए काफी अहम रहे हैं।