उत्तराखंड STORY OF GARIMA JOSHI NATIONAL PLAYER FROM UTTARAKHAND

जिस बेटी ने उत्तराखंड का मान बढ़ाया, उसका घर नीलाम होने वाला है...आइए मदद करें

पैरा एथलीट गरिमा जोशी का घर नीलाम होने वाला है, आप आर्थिक मदद कर के गरिमा का घर बचा सकते हैं...

उत्तराखंड न्यूज: STORY OF GARIMA JOSHI NATIONAL PLAYER FROM UTTARAKHAND
Image: STORY OF GARIMA JOSHI NATIONAL PLAYER FROM UTTARAKHAND (Source: Social Media)

: आपको याद होगा, पिछले साल राष्ट्रीय स्तर की पैरा एथलीट गरिमा जोशी एक सड़क हादसे में घायल हो गई थीं। उनके परिवार के पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे, तब प्रदेश सरकार और समाजसेवी संगठनों ने उनकी मदद की थी। प्रदेश सरकार की तरफ से मदद तो मिली, पर गरिमा की तकलीफें अब भी कम नहीं हुई हैं। गरिमा की कहानी सुनकर आप भी रो पड़ेंगे। ये पैरा एथलीट इस वक्त अपने घर को बचाने के लिए जूझ रही है। वो सोशल नेटवर्किंग साइट्स के माध्यम से लोगों से मदद मांग रही हैं। ये साल गरिमा के लिए बेहद तकलीफों भरा रहा है। उनकी मां को कैंसर था, वो साल 2012 से कैंसर से जूझ रहीं थीं। उनके इलाज के लिए गरिमा के पिता को बैंक से लोन लेना पड़ा। इसी साल 2 मार्च को गरिमा ने अपनी मां को खो दिया, उनके पिता बैंक से लिया लोन भी नहीं चुका पाए, क्योंकि बेटी और पत्नी का इलाज कराते वक्त उन्होंने अपनी नौकरी गंवा दी थी।

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अब गरिमा के घर को सील करने के लिए बैंक और कोर्ट ने नोटिस भेजा है। गरिमा का घर बचाने के लिए उन्हें आर्थिक मदद की दरकार है।

Posted by Garima Joshi on Saturday, July 27, 2019

गरिमा जोशी के बारे में जानकर आप भी उन्हें सैल्यूट करने लगेंगे। गरिमा की खेल जिंदगी का सफर साल 2013 में शुरू हुआ। उन्होंने सबसे पहले दून में हुई मैराथन जीती। साल 2014 में अहमदाबाद में नेशनल गेम्स में हिस्सा लिया। वो 800 मीटर, 1500 मीटर और 3000 मीटर की नेशनल स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुकी हैं। कई पदक जीत चुकी हैं। उत्तराखंड सरकार ने उन्हें सम्मानित भी किया था, पर पिछले साल 31 मई 2018 को हुई एक दुर्घटना के बाद गरिमा के लिए सबकुछ बदल गया। बंगलुरू में प्रैक्टिस के वक्त एक कार ने उन्हें टक्कर मार दी थी। गरिमा बुरी तरह घायल हो गईं, उन्हें स्पाइनल कॉर्ड इंजरी हुई। कर्नाटक में उनका ऑपरेशन हुआ। उस वक्त भी वो खुद से ज्यादा अपनी माता के इलाज के लिए धनराशि जुटाने के लिए प्रयासरत थीं।

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उत्तराखंड सरकार ने आर्थिक मदद तो की, पर केवल गरिमा के इलाज के लिए, उनकी मां के इलाज के लिए पिता को बैंक से लोन लेना पड़ा। एक्सीडेंट के बाद गरिमा विकलांग हो गईं, पर उन्होंने फिर भी हौसला नहीं खोया। उन्होंने व्हील चेयर पर गेम्स की प्रैक्टिस शुरू की। पिछले साल उन्होंने दिल्ली में हुई एयरटेल दिल्ली हाफ मैराथन में पहला स्थान हासिल किया। कई और प्रतियोगिताएं जीतीं। अब गरिमा अपना घर बचाने के लिए जूझ रही हैं। कोर्ट और बैंक ने उनके घर को सील करने का नोटिस दिया है। हमारी आपसे अपील है कि पहाड़ की इस बेटी की मदद के लिए आगे आएं, जितना संभव हो गरिमा की मदद करें। प्रार्थना के लिए उठे हाथों से बेहतर वो हाथ होते हैं जो किसी की मदद के लिए उठते हैं। गरिमा के घर को नीलाम होने से बचाएं, इस खबर को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें....