रुद्रप्रयाग: पलायन पहाड़ का भाग्य बन गया है। एक कहावत है ना कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी, कभी पहाड़ के काम नहीं आती। काफी हद तक ये सच भी लगता है। पहाड़ का पानी दूसरे राज्यों की प्यास बुझा रहा है, उन्हें बिजली दे रहा है। पर सुदूरवर्ती गांव आज भी बिजली के लिए तरस रहे हैं। इसी तरह पहाड़ के युवा नौकरी की तलाश में एक बार पहाड़ से जाते हैं तो बस चले ही जाते हैं। इनमें से कोई भी वापस गांव की तरफ मुड़कर नहीं लौटता। रुद्रप्रयाग के रहने वाले संजय शर्मा दरमोड़ा भी चाहते तो ऐसा कर सकते थे। वो सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में वकील हैं। मजे की जिंदगी जी सकते हैं, पर संजय शर्मा दरमोड़ा पहाड़ के लोगों के लिए कुछ और कर रहे हैं। वो दिल्ली में रहते हैं तो उत्तराखंड के लोगों की मदद करते हैं। उनकी परेशानी दूर करने के लिए जो बन पड़ता है करते हैं। आज वो पहाड़ को संवारने के लिए जो काम कर रहे हैं, वो वास्तव में तारीफ के काबिल हैं।
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संजय शर्मा दरमोड़ा रुद्रप्रयाग के सुदूरवर्ती दरम्वाणी गांव के रहने वाले हैं। वो उन लोगों में से हैं जो कहने में नहीं, कुछ करने में विश्वास रखते हैं। संजय शर्मा दरमोड़ा आज भी अपनी मिट्टी और पहाड़ से जुड़े हैं। इस वक्त वो पलायन रोकने के साथ ही पहाड़ के स्कूलों की सूरत सुधारने की मुहिम में जुटे हैं। वो गरीब बच्चों के लिए स्कूल ड्रेस, किताबों का इंतजाम करते हैं। जिन स्कूलों में फर्नीचर की कमी होती है, उन्हें फर्नीचर भी मुहैया कराते हैं। संजय अच्छी तरह जानते हैं कि अगर पहाड़ से पलायन खत्म करना है, तो बच्चों को शिक्षा से जोड़ना होगा। रोजगार के अवसर पैदा करने होंगे। पहाड़ से पलायन खत्म करने और बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए उनकी मुहिम जारी है। वो उत्तराखंड के प्रमुख समाजसेवियों में से एक हैं, लेकिन वो उन लोगों में से नहीं हैं जो केवल कहते हैं, पर करते कुछ नहीं। संजय भले ही आपको अखबारों की सुर्खियों में ना दिखें, पर उनके काम पहाड़ में दिख भी रहे हैं, और इन्हें सराहा भी जा रहा है। पहाड़ को ऐसे ही युवाओं की जरूरत है, जो पहाड़ के दर्द को महसूस करें और उसे दूर करने की कोशिश करें...चलिए पहाड़ के इस होनहार युवा वकील का एक वीडियो भी देख लीजिए, जिसे हमारी टीम ने खासतौर पर आपके लिए तैयार किया है...उम्मीद है उनकी कहानी से दूसरे लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी और वो भी पहाड़ की पीड़ा हरने के लिए कुछ करेंगे...