चमोली: साल 2013 में केदारनाथ में आई जलप्रलय के घाव अब तक भरे नहीं हैं। चौराबाड़ी झील से आए सैलाब ने सैकड़ों गांव तबाह कर दिए, हजारों लोगों की जान लील ली। ठीक ऐसे ही हालात अब बदरीनाथ में बन रहे हैं, यानि बदरीनाथ को भी केदारनाथ जैसी आपदा से जूझना पड़ सकता है, ये कहना है वैज्ञानिकों का। वैज्ञानिकों ने बदरीनाथ में स्थित परीताल झील को लेकर चिंता जताई है। ये झील अलकनंदा रिवर बेसिन में स्थित है। फिलहाल स्थिति कंट्रोल में है, लेकिन झील का क्षेत्रफल और जलस्तर साल दर साल बढ़ रहा है। आने वाले वक्त में ये बड़ा खतरा हो सकता है। हाल ही में केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की तरफ से नेशनल मिशन ऑन हिमालयन स्टडीज (एनएमएचएस ) के तहत क्षेत्र में रिसर्च कराया गया था, जिसमें परीताल झील को लेकर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
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ये झील माणा गांव से आगे 5584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। जिसका जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। परीताल झील का क्षेत्रफल भी लगातार बढ़ रहा है। साल 1994 में झील का क्षेत्रफल 0.08 वर्ग किमी था, साल 2001 में ये बढ़कर 0.12 वर्ग किमी हो गया। साल 2011 में 0.17 वर्ग किमी और वर्ष 2018 में झील का क्षेत्रफल बढ़कर 0.21 वर्ग किमी हो गया है। 5584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित 17.8 मीटर गहरी परीताल झील में 3754782.09 क्यूबिक मीटर पानी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि झील का ढलान 10 डिग्री से भी कम है, जो कि भविष्य में बड़ा खतरा साबित हो सकता है। शोध वैज्ञानिक डॉ. गोपीनाथ रोगांली आरए ने कहा कि फिलहाल डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन भविष्य के लिए सतर्क रहना होगा। सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ से समय रहते एहतियाती कदम उठाए जाने की जरूरत है।