उत्तराखंड पिथौरागढ़Women give birth a child in farmer field during 3 degree temperature

पहाड़ की पीड़ा..माइनस 3 डिग्री तापमान में हुआ महिला का प्रसव, खेत में दिया नवजात को जन्म

एक तरफ सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा दे रही है तो वहीं दूसरी तरफ गर्भवती महिलाओं को खेतों में प्रसव कराना पड़ रहा है...

Pithoragarh: Women give birth a child in farmer field during 3 degree temperature
Image: Women give birth a child in farmer field during 3 degree temperature (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: परिवार में बच्चे का आगमन खुशियों की दस्तक माना जाता है। किसी मां के लिए ये पल उसके जीवन का सबसे अनमोल पल होता है, पर पहाड़ में ये खुशी हासिल करने के लिए महिलाओं को जिस दर्द और तकलीफ से गुजरना पड़ता है, उसे देख कलेजा कांप उठता है। ऐसा ही कुछ पिथौरागढ़ के मुनस्यारी में हुआ। एक वेबसाइट की खबर के मुताबिक यहां महिला ने माइनस तीन डिग्री तापमान के बीच शिशु को खेत में जन्म दिया। इस गांव में अस्पताल नहीं है, अस्पताल तो छोड़ो सड़क तक नहीं है, ऐसे में महिला को अस्पताल पहुंचाना बड़ी चुनौती था। कड़ाके की ठंड और बर्फबारी के बीच परिजनों ने हिम्मत जुटाकर गर्भवती महिला को डोली में लेटाया और अस्पताल जाने लगे। अस्पताल मुनस्यारी में है, वहां तक जाने के लिए पहले 4 किलोमीटर दूर चौना गांव तक पहुंचना था। लेकिन चौना तक पहुंचने से पहले ही गर्भवती महिला दर्द से छटपटाने लगी।

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जिसके बाद में परिजनों ने फन्या नाम की जगह में गर्भवती को डोली से उतारकर खेत में लेटा दिया। जहां महिला ने माइनस तीन डिग्री तापमान में खेत में ही शिशु को जन्म दिया। हालांकि राहत वाली बात ये है कि जच्चा और बच्चा दोनों सुरक्षित हैं। घटना शुक्रवार शाम की है। गिरीश गोस्वामी की पत्नी संगीता देवी को शुक्रवार को प्रसव पीड़ा होने लगी। वो पैदल चलने की हालत में नहीं थी। परिजन संगीता को मुनस्यारी अस्पताल ले जाने लगे, जिसके लिए पहले चौना गांव तक पहुंचना जरूरी था। गांव में सड़क नहीं है, इसीलिए परिजन संगीता को डोली में लेटाकर चौना गांव के लिए पैदल ही निकल पड़े। जहां संगीता ने रास्ते में बच्चे को जन्म दे दिया। गांव की प्रधान हेमा देवी ने कहा कि क्षेत्र में ऐसे कई मामले हो चुके हैं। एक तरफ सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा दे रही है तो वहीं दूसरी तरह गर्भवती महिलाओं को खेतों में प्रसव कराना पड़ रहा है। सरकारें बदल रही हैं, पर हमारे गांव के हालात ना जाने कब बदलेंगे।