उत्तराखंड चम्पावतbody of martyr rahul ranswal reached village today in champawat

उत्तराखंड: गांव पहुंचा शहीद राहुल रैंसवाल का पार्थिव शरीर, पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल

शहीद जवान राहुल रैंसवाल के पिता ने कहा कि बेटे ने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देकर उनका सीना गर्व से चौड़ा कर दिया, लेकिन जवान बेटे को खो देने का गम उनकी आंखों में साफ नजर आ रहा था...

राहुल रैंसवाल: body of martyr rahul ranswal reached village today in champawat
Image: body of martyr rahul ranswal reached village today in champawat (Source: Social Media)

चम्पावत: कश्मीर में आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हुए उत्तराखंड के जवान राहुल रैंसवाल का पार्थिव शरीर आज चंपावत पहुंच गया। शहीद के पार्थिव शरीर को उनके गांव कनल ले जाया गया, जहां शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए हजारों लोगों की भीड़ मौजूद थी। हर कोई शहीद के अंतिम दर्शन कर भारत माता के जांबाज लाल को अंतिम विदाई देना चाहता था। जवान का पार्थिव शरीर जैसे ही उनके घर लाया गया, वहां कोहराम मच गया। पत्नी पछाड़ खाकर बेसुध हो गई। हर कोई बिलख रहा था। यही हाल शहीद के माता-पिता का भी था। शहीद राहुल के पिता ने कहा कि बेटे ने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देकर उनका सीना गर्व से चौड़ा कर दिया, पर बेटे को खो देने का गम उनकी आंखों में साफ नजर आ रहा था। सेना के अधिकारियों ने बताया कि आज गांव में शहीद की अंतिम यात्रा निकाली जाएगी। शाम को डिप्टेश्वर घाट पर सैन्य सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

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उत्तराखंड के जवान राहुल रैंसवाल दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। जवान राहुल रैंसवाल उस परिवार का हिस्सा थे, जिसकी तीन पीढ़ियों ने देश की सेवा की है। जवान राहुल रैंसवाल के दादा भी सेना में थे। पिता भी सेना में रह चुके हैं। उनका बड़ा भाई भी सेना में है। 25 साल के राहुल रैंसवाल 2 साल पहले ही विवाह बंधन में बंधे थे। वो पत्नी और 8 महीने की बेटी को बिलखता छोड़ गए हैं। पूरा उत्तराखंड इस वक्त शोक में डूबा है। राहुल रैंसवाल की शहादत ने पिछले साल हुए पुलवामा हमले की कड़वी यादें एक बार फिर ताजा कर दीं। पिछले साल भी उत्तराखंड ने पुलवामा हमले में अपने कई जांबाजों को खो दिया था। जवान राहुल रैंसवाल के पिता वीरेंद्र रैंसवाल ने कहा कि उन्हें बेटे की शहादत पर गर्व है। अगर मैं राहुल के साथ होता तो चार दुश्मनों को मैं भी फाड़ देता। आज शहीद का अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ किया जाएगा। वहीं स्थानीय लोगों ने राजकीय महाविद्यालय का नाम शहीद के नाम पर रखने की मांग की है।