उत्तराखंड देहरादून12 stations will be on the 125 km long rail line between rishikesh-karnprayag

ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन: 35 खूबसूरत पुलों और 16 सुरंगों से गुजरेगी ट्रेन..जानिए खास बातें

ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन 16 सुरंगों और 35 पुलों से गुजरती हुई आखिरी रेलवे स्टेशन सेवई, कर्णप्रयाग पहुंचेगी...जानिए पूरी खबर

rishikesh-karnprayag rail line: 12 stations will be on the 125 km long rail line between rishikesh-karnprayag
Image: 12 stations will be on the 125 km long rail line between rishikesh-karnprayag (Source: Social Media)

देहरादून: ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन...हर उत्तराखंडवासी का सपना, इन दिनों ये सपना आकार ले रहा है। पहला स्टेशन बनकर तैयार है। जल्द ही योगनगरी रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है। जिसके जरिए उत्तराखंड के चारों धाम आपस में जुड़ जाएंगे। बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री का रेकी सर्वे पूरा हो गया है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन 16 खूबसूरत पहाड़ी सुरंगों से गुजरेगी। प्रोजेक्ट के तहत कुल 16 सुरंगों का निर्माण किया जाएगा। रेललाइन की कुल लंबाई 125 किलोमीटर होगी। परियोजना पर 16 हजार 720 करोड़ रुपये खर्च होंगे। हाल ही में मुख्य परियोजना प्रबंधक हिमांशु बडोनी ने विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल से मुलाकात की। उन्हें प्रोजेक्ट की प्रगति के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि ऋषिकेश में योगनगरी रेलवे स्टेशन बनकर तैयार है। 4 फरवरी को अधिकारी इसका निरीक्षण करेंगे। चारों धामों को आपस में जोड़ने के लिए 125 किमी लंबी रेलवे लाइन बनाई जाएगी। प्रोजेक्ट का काम साल 2024-25 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

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प्रोजेक्ट के तहत कुल 12 स्टेशन, 16 सुरंगें और 35 पुलों का निर्माण किया जाएगा। कुल मिलाकर रेलवे परियोजना के अस्तित्व में आने के बाद चारधाम यात्रा सुविधाजनक होने के साथ-साथ रोमांचक भी हो जाएगी। रेलवे लाइन में सबसे लंबी सुरंग 15 किलोमीटर लंबी होगी। ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन बनने के बाद ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक की दूरी कम हो जाएगी। अभी जिस सफर में 6 घंटे लगते हैं, वो सिर्फ 2 घंटे में पूरा होगा। पीएम नरेंद्र मोदी परियोजना के काम को खुद मॉनीटर कर रहे हैं। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत भी लगातार समीक्षा कर रहे हैं। ऐसे में आप खुद समझ सकते हैं कि परियोजना सामरिक दृष्टि से कितनी महत्वपूर्ण है। चार से पांच साल बाद हम पहाड़ में ट्रेन दौड़ते देख सकेंगे। इस साल वीरभद्र-ऋषिकेश सेक्शन का काम पूरा होगा। न्यू ऋषिकेश से देवप्रयाग तक का काम 2023-24 तक पूरा होने की उम्मीद है। देवप्रयाग से कर्णप्रयाग तक का काम 2024-2025 तक पूरा हो जाएगा। फिलहाल लोकेशन सर्वे का काम चल रहा है, जो कि इसी महीने पूरा हो जाएगा।