उत्तराखंड देहरादूनSubramanian swamy against chardham shrine board act

उत्तराखंड में मंदिरों को चलाना सरकार का काम नहीं, अपनी ही पार्टी के फैसले के खिलाफ सुब्रमण्यम स्वामी

श्राइन बोर्ड गठन के विरोध में देवभूमि तीर्थपुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत का विरोध-प्रदर्शन जारी है और अब बीजेपी के बड़े नेता भी अपनी ही पार्टी के फैसले के खिलाफ बयान दे रहे हैं। सांसद सुब्रमण्यम स्वामी का ये बयान बीजेपी सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकता ह

Chardham yatra: Subramanian swamy against chardham shrine board act
Image: Subramanian swamy against chardham shrine board act (Source: Social Media)

देहरादून: उत्तराखंड में चार धाम समेत 51 मंदिरों को श्राइन बोर्ड के अधीन करने संबंधी फैसले का विरोध लगातार जारी है। सरकार के इस फैसले को लेकर तीर्थ पुरोहितों ने जिला मुख्यालय से लेकर विधानसभा तक जमकर प्रदर्शन किया। प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया कि वो श्राइन बोर्ड की आड़ में धामों और मंदिरों के अधिग्रहण की साजिश रच रही है। कांग्रेस भी इस मामले को लेकर सरकार को लगातार घेरती आ रही है। हालांकि प्रदेश सरकार ये कहती रही कि तीर्थ पुरोहितों की आशंका निराधार है। श्राइन बोर्ड के गठन से चारों धामों का विकास होगा। श्राइन बोर्ड गठन को लेकर पहले ही तीर्थ पुरोहितों और कांग्रेस का विरोध झेल रही प्रदेश सरकार की मुसीबतें और बढ़ने वाली हैं। क्योंकि हाल ही में बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मुद्दे पर ऐसी बात बोल दी, जो कि आने वाले वक्त में प्रदेश की बीजेपी सरकार पर भारी पड़ सकती है। एक बयान में सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि मंदिरों को चलाना सरकार का काम नहीं है। हम इसके खिलाफ लड़ेंगे। सरकार मंदिर के काम में दखल नहीं दे सकती। सरकार सिर्फ मंदिरों के आय-व्यय संबंधी मामले ही देख सकती है। ये कहने का हक सरकार के पास नहीं है कि मंदिर कैसा हो, वहां पूजा कैसे की जाए। ये सब देखना सरकार का काम नहीं है। सरकार पुजारियों के काम में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

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श्राइन बोर्ड गठन के जिस फैसले को प्रदेश सरकार सही बता रही है, बीजेपी के अपने बड़े नेता ही उस फैसले के हक में नहीं हैं। आपको बता दें कि त्रिवेंद्र कैबिनेट ने 80 साल पुरानी व्यवस्था को बदलते हुए कुछ ही दिन पहले उत्तराखंड चार धाम श्राइन प्रबंधन बोर्ड विधेयक-2019 को मंजूरी दी है। इस विधेयक को लेकर पहले से ही विरोध हो रहा था, अब विधेयक पारित होने के बाद विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। कांग्रेस भी इस मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। देवभूमि तीर्थपुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत का विरोध-प्रदर्शन जारी है और अब बीजेपी के अपने बड़े नेता भी अपनी ही पार्टी के फैसले के खिलाफ बयान दे रहे हैं। ये बयान त्रिवेंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकता है। साल 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। श्राइन बोर्ड गठन को लेकर कांग्रेस पहले ही सरकार को घेरती आ रही है, उस पर बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के बयान ने विरोध की आंच को और हवा दे दी है, जिसके गंभीर नतीजे सामने आएंगे।

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