उत्तराखंड रुड़कीSelection of smart dustbin project for district level competition

रुड़की के होनहार छात्र ने बनाया ‘स्मार्ट इलेक्ट्रॉनिक डस्टबिन’, भरने पर सफाईकर्मी को खुद करेगा कॉल

‘स्मार्ट इलेक्ट्रॉनिक डस्टबिन’ बनाने वाले देवांश कक्षा 8 में पढ़ते हैं। उनका ये आविष्कार बेहद अनोखा है, साथ ही उपयोगी भी...

smart dustbin project: Selection of smart dustbin project for district level competition
Image: Selection of smart dustbin project for district level competition (Source: Social Media)

रुड़की: उत्तराखंड में होनहारों की कमी नहीं है। बस जरूरत है तो इन होनहारों को मंच देने की, उन्हें प्रोत्साहन देने की। अब रुड़की के देवांश भारद्वाज को ही देख लें। जिस उम्र में बच्चे ज्यादातर टीवी और वीडियो गेम से चिपके रहते हैं, उस उम्र में देवांश ने एक स्मार्ट इलेक्ट्रॉनिक डस्टबिन तैयार कर दिया। अब आप सोचेंगे कि डस्टबिन तो डस्टबिन है, इसमें स्मार्टनेस की क्या जरूरत। तो चलिए बताते हैं। आमतौर पर हम डस्टबिन में कूड़ा इकट्ठा करते हैं, फिर सफाईकर्मी के आने का इंतजार करते हैं। ताकि वो आए और कचरा लेकर जाए। लेकिन स्मार्ट डस्टबिन होने पर सफाईकर्मी का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। जैसे ही डस्टबिन कचरे से भर जाएगा। ये खुद ही सफाईकर्मी को कॉल कर देगा।

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इसके लिए देवांश ने स्पेशल सॉफ्टवेयर बनाया है। देवांश भारद्वाज ग्रीनवे मॉर्डन स्कूल में पढ़ते हैं। उनके स्मार्ट डस्टबिन प्रोजेक्ट का चयन राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान की तरफ से आयोजित ऑनलाइन प्रतियोगिता के लिए हुआ है। देवांश का प्रोजेक्ट जिला स्तरीय प्रतियोगिता के लिए सेलेक्ट हो चुका है। देवांश के पिता प्रदीप कुमार उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष और नॉर्दन रेलवे सलाहकार समिति के सदस्य हैं। उन्होंने बेटे की उपलब्धि पर खुशी जाहिर की। देवांश का बनाया स्मार्ट इलेक्ट्रॉनिक डस्टबिन भरने के बाद विसिल और फोन कॉल के जरिए सफाई कर्मचारी तक खुद सूचना पहुंचाएगा। इस तरह के डस्टबिन सार्वजनिक स्थानों, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और दफ्तरों के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं। देवांश के इस मॉडल का चयन जिला स्तरीय प्रतियोगिता के लिए हुआ है। केंद्र सरकार की तरफ से होनहार देवांश को दस हजार रुपये की आर्थिक सहायता भी दी गई। देवांश ने इस सफलता का श्रेय अपनी स्कूल प्रिंसिपल माला चौहान, साइंस टीचर मुक्ता जैन और विक्रांत माहेश्वरी को दिया है।