उत्तराखंड अल्मोड़ाPratap singh made agriculture the basis of progress at dwarahat

पहाड़ के बेमिसाल किसान प्रताप सिंह बिष्ट, खेत में 1 मीटर लंबी मूली और 7 किलो की गोभी उगा दी

प्रताप सिंह बिष्ट मैग्नेसाइट कंपनी में जॉब करते थे। रिटायर हुए तो शहर में बसने की बजाय गांव लौट आए। सोचा खेती करेंगे, पर ये आसान नहीं था। खेत बंजर थे, लेकिन प्रताप सिंह ने हार नहीं मानी...

Dwarahat: Pratap singh made agriculture the basis of progress at dwarahat
Image: Pratap singh made agriculture the basis of progress at dwarahat (Source: Social Media)

अल्मोड़ा: एक तरफ पलायन के चलते गांव-पहाड़ खाली होते जा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ स्वावलंबन की ऐसी शानदार तस्वीरें भी देखने को मिल रही हैं, जो पलायन को मुंह चिढ़ाती दिखती हैं। ऐसी ही शानदार तस्वीरें द्वाराहाट से सामने आई हैं, जहां एक बुजुर्ग किसान खेती से पलायन को मात दे रहे हैं। पहाड़ के इस किसान का नाम है प्रताप सिंह बिष्ट, वो द्वाराहाट के कुन्थारी गांव में रहते हैं। कुछ साल पहले तक प्रताप सिंह बिष्ट मैग्नेसाइट कंपनी में जॉब करते थे। रिटायर हुए तो शहर में बसने की बजाय गांव लौट आए। सोचा खेती करेंगे, पर ये आसान नहीं था। खेत बंजर थे, लेकिन प्रताप सिंह ने हार नहीं मानी। कुछ महीनों की मेहनत के बाद उनके खेतों में हरियाली छा गई। हाल ही में प्रताप सिंह तब चर्चा में आए, जब उनके खेत में एक मीटर लंबी विशाल मूली की पैदावार हुई।

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इस विशाल मूली का वजन जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। मूली का वजन 8 किलो 700 ग्राम है। उनके खेत में 6 किलो 880 ग्राम की विशाल गोभी भी पैदा हुई। ये एक गोभी कई परिवारों का पेट भरने के लिए काफी है। खेतों में विशाल गोभी और मूली की पैदावार करने वाला ये किसान सोशल मीडिया पर रातोंरात चर्चा में आ गया। खास बात ये है कि प्रताप सिंह खेती के लिए हानिकारक केमिकल्स का इस्तेमाल नहीं करते। वो जैविक खेती करते हैं। पिछले तीन साल से वो अपने खेतों में गोभी, मेथी, मूली, प्याज, लहसुन, धनिया और पालक की खेती कर रहे हैं। अच्छे रिजल्ट मिलने पर उन्होंने फलों की खेती भी शुरू कर दी है। ज्यादा उत्पादन होने पर वो सब्जियां गांव के लोगों में बांट देते हैं। जिस उम्र में ज्यादातर लोग आराम और सुकून की जिंदगी बिताते हैं, उस उम्र में खेतों में पसीना बहाने वाला ये किसान स्वरोजगार की नई इबारत लिख रहा है। प्रताप सिंह को देखकर गांव के दूसरे लोग भी खेती को अपना रहे हैं।