उत्तराखंड पिथौरागढ़Rufous backed redstart bird seen first time in Uttarakhand

गजब: उत्तराखंड में 132 साल बाद दिखी ये दुर्लभ चिड़िया, वैज्ञानिकों में ख़ुशी की लहर

दुर्लभ रूफोस बैक्ड रेडस्टार्ड बर्ड के उत्तराखंड में होने का कोई रिकॉर्ड नहीं है। पिछले 132 सालों में ये पक्षी उत्तराखंड में कभी नहीं देखा गया। अब ये पक्षी मुनस्यारी के जंगलों में नजर आया है...

Rufous backed redstart bird: Rufous backed redstart bird seen first time in Uttarakhand
Image: Rufous backed redstart bird seen first time in Uttarakhand (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: दुनियाभर के जीव वैज्ञानिकों को उत्तराखंड से एक अच्छी खबर सुनने को मिली है। उत्तराखंड में पक्षियों का अद्भुत संसार बसता है। बर्ड वॉचिंग को बढ़ावा देने के लिए यहां पर बर्ड फेस्टिवल्स आयोजित होने लगे हैं। जिससे पर्यटन को मजबूती मिली है। अब उत्तराखंड के खाते में एक और उपलब्धि दर्ज हो गई है। यहां एक ऐसे दुर्लभ पक्षी के दर्शन हुए हैं, जिसे सब विलुप्त मान चुके थे। पिछले 132 साल में इस पक्षी को उत्तराखंड में कभी नहीं देखा गया। इस पक्षी का नाम है रूफोस बैक्ड रेडस्टार्ट। उत्तराखंड में पक्षियों पर अध्ययन करने वाले दल को पहली बार रूफोस बैक्ड रेडस्टार्ट बर्ड नजर आई है। मुनस्यारी के जंगलों में इस पक्षी को उड़ान भरते देख पक्षी विशेषज्ञ हैरान रह गए। क्योंकि पिछले 132 साल के रिकॉर्ड के अनुसार इस पक्षी के राज्य के जंगलों में होने का कोई प्रमाण नहीं मिला है। उत्तराखंड के पारिस्थितिकी विज्ञान शास्त्री के.रामनारायण ने बताया कि 17 फरवरी को सीईडीएआर एवं टिटली ट्रस्ट के नेचर गाइड ट्रेनिंग के दौरान बर्ड वॉचर दल को मुक्तेश्वर के जंगल में कुछ दुर्लभ पक्षी दिखे।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - देवभूमि का रहस्यों से भरा कुंड, यहां रावण ने भगवान शिव को दी अपने 9 सिरों की आहुति
इन्हीं पक्षियों के साथ रूफोस बैक्ड रेडस्टार्ट नजर आया। पास ही एक मादा ब्लू फ्रंटेड रेडस्टार्ट भी देखी गई। दुर्लभ प्रजाति की यह चिड़िया पिछले 132 सालों में उत्तराखंड में कभी नहीं देखी गई। इस चिड़िया की पीठ और पंखों पर सफेद लाइन और सिर पर चमकीली टोपी जैसी आकृति नजर आती है। ये पेड़ से जमीन की तरफ तेजी से उड़ान भरते हैं। यही इनकी खास पहचान है। दुर्लभ पक्षी को देखने वाली ट्रैकिंग टीम में जगदीश नेगी, बची डंगवाल, विजय दीक्षित रेड्डी, बबीता गलिया आदि शामिल थे। दुनिया भर में इस चिड़िया को सिर्फ 536 बार देखा गया है। भारत में ये केवल लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में देखी गई है, जहां इसे सिर्फ 22 बार देखा गया। अब ये दुर्लभ पक्षी उत्तराखंड के जंगलों में दिखा है।