उत्तराखंड उत्तरकाशीUttarkashi sangrali village michael

गढ़वाल: लॉकडाउन में गढ़वाली सीख रहा है इंग्लैंड का माइकल, गांव में काट रहा है फसल

संग्राली गांव में लॉकडाउन में फंसा एक विदेशी युवक गांव के सभी तौर-तरीके और रहन-सहन अपना चुका है। यहां तक कि वह थोड़ी-थोड़ी गढ़वाली भी बोलने और समझने लग गया है। पढ़िए पूरी खबर

Uttarkashi News: Uttarkashi sangrali village michael
Image: Uttarkashi sangrali village michael (Source: Social Media)

उत्तरकाशी: एक ओर जहां उत्तराखंड के गांव से लोग शहरों की ओर रुख कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर विदेशी लोग आकर गांव में समय व्यतीत कर रहे हैं। पहाड़ के लोग जहां गांव की सभी तरह की स्मृतियों को पीछे छोड़ चुके हैं, अपनी भाषा और संस्कृति को भूल चुके हैं, गांव के रहन-सहन, तौर-तरीकों को अपनाने में उनको शर्म सी आती है वहीं दूसरी ओर विदेशी लोगों द्वारा उत्तराखंड के गांव के तौर-तरीके और रहन-सहन न सिर्फ पसंद किए जा रहे हैं, बल्कि अपनी निजी जिंदगी में उतारे भी जा रहे हैं। ऐसा ही कुछ अनोखा और अद्भुत नजारा उत्तरकाशी के एक गांव में देखना को मिल रहा है। उत्तरकाशी के संग्राली में लॉकडाउन में फंसा एक युवक गांव के सभी तौर-तरीके अपना चुका है। यहां तक कि गढ़वाली भी बोलने और समझने लग गया। विदेशी युवक अपना अधिकांश समय खेतों में गेहूं की कटाई करके बीत रहा है। वह गांव के रहन-सहन में रम गया है, लोगों के बीच घुल-मिल गया है। ग्रामीण जीवन का लुत्फ उठाने वाले इस विदेशी युवक का नाम है माइकल एडवर्ड। 35 वर्षीय माइकल इंग्लैंड का निवासी है और 14 फरवरी को टूरिस्ट वीजा लेकर भारत आया था। आगे भी पढ़िए

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उत्तराखंड भ्रमण के दौरान वो उत्तरकाशी घूमने आया तो संग्राली गांव ने उसे काफी हद तक प्रभावित और आकर्षित किया। वहीं के स्थानीय निवासी दिवाकर नैथानी से माइकल की दोस्ती हो गई। इस दौरान माइकल उत्तराखंड के कई स्थानों पर घूमा जिसके बाद वह 21 को वापस उत्तरकाशी के संग्राली गांव लौटा। उसके लौटने के साथ ही लॉकडाउन हो गया जिसके कारण वह उत्तरकाशी में ही फंस गया। माइकल ने धीरे-धीरे गांव के तौर-तरीके, वहां का रहन-सहन, दिनचर्या और यहां तक कि भाषा भी अपना ली। वह अपने मित्र दिवाकर के साथ खेतों में काम है, गेंहू की कटाई के बाद उसे घर तक पहुंचाता है। उसके मित्र और संग्राली गांव के स्थानीय निवासी दिवाकर ने बताया कि माइकल अब थोड़ी-थोड़ी गढ़वाली बोलने और सुनने लगा है। वहीं माइकल भी संग्राली गांव में आकर बहुत खुश हैं। वे बताता है कि उसको प्रकृति से बहुत लगाव है। ऐसे मे वहां चारों ओर हरियाली बिखरी हुई है, साथ ही साथ वहां का मौसम भी उनको खूब सुहा रहा है। पहाड़ का जन जीवन भी उनको अपनी तरफ काफी आकर्षित कर रहा है। आसपास खुला वातावरण, साथ में नेक लोग और ग्रामीण परिवेश के बीच माइकल रम गए हैं। उन्होंने कुछ समय और संग्राली गांव में बिताने की इच्छा जाहिर की है।