उत्तराखंड नैनीतालNainital quarentine center people refuce food from dalit bhojan mata

उत्तराखंड: क्वारेंटाइन सेंटर में दलित महिला के हाथ का खाना खाने से इनकार

नैनीताल जिले के गांव भुमका में 14 मई से 5 युवक क्वारंटाइन हैं जिनमें से 2 सवर्ण युवकों ने क्वारंटाइन केंद्र में खाना खाने से केवल इसलिए मना कर दिया क्योंकि खाना बनाने वाली माता भवानी देवी अनुसूचित जाति से नाता रखती हैं। पढ़िए पूरी खबर-

Nainital Quarantine Center: Nainital quarentine center people refuce food from dalit bhojan mata
Image: Nainital quarentine center people refuce food from dalit bhojan mata (Source: Social Media)

नैनीताल: उत्तराखंड में कोरोना के आंकड़ों ने शतक पूरा कर लिया है। ऐसे में राज्य की रक्षा के लिए एक ओर सरकार, प्रशासन और तमाम कोरोना वारियर्स हैं जो इस वायरस के खिलाफ मैदान में उतर कर दिन-रात संग्राम कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ऐसी पिछड़ी मानसिकता वाले कुछ ऐसे लोग हैं जो ऐसी वैश्विक महामारी के बीच भी जातिवादी और पिछड़ी सोच का प्रदर्शन कर रहे हैं। उत्तराखंड के ओखलकांडा में भी कुछ ऐसी ही शर्मनाक घटना का खुलासा हुआ है। ओखलकांडा क्षेत्र में क्वारंटाइन किए गए 2 सवर्णों ने क्वारंटाइन केंद्र में अनुसूचित जाति वाली माता द्वारा बनाए गए भोजन को ग्रहण करने से साफ तौर पर इंकार कर दिया है। उन 2 युवकों ने तो अनुसूचित जाति कि भोजन बनाने वाली माता के हाथ का छुआ पानी तक पीने को मना किया है। उनका ऐसा मानना है कि अनुसूचित जाति के व्यक्तियों के हाथों का बना खाना खा कर वह दूषित हो जाएंगे। बकायदा दोनों युवक क्वारंटाइन के नियमों का उल्लंघन करके घर से खाना-पीना मंगा रहे हैं। अन्नपूर्णा के रूप में सभी युवकों के लिए खाना बनाने वाली उस औरत के ऊपर क्या बीत रही होगी उसका हम जरा भी अंदाजा नहीं लगा सकते।

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प्राप्त जानकारी के अनुसार नैनीताल जिले के ग्राम-भुमका में बाहर से वापस लौटे 5 युवकों को राजकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय, भुमका में क्वारंटाइन कर दिया था। इनके खाने-पीने की व्यवस्था माता भवानी देवी कर रही थीं जो कि अनुसूचित जाति से नाता रखती हैं। वह एक मां की तरह पांचों युवकों के लिए खाना बनाती थीं। क्वारंटाइन में उपस्थित 5 में से 2 सवर्णों ने माता भवानी देवी के हाथ का खाना खाने से इंकार कर दिया। दोनों युवक 14 मई से क्वारंटाइन हैं मगर एक बार भी उन्होंने भवानी देवी के हाथ का खाना तक नहीं खाया। ऊपर से क्वारंटाइन के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए यह दोनों लोग घर से खाने-पीने का सामान मंगवा रहे हैं। नियम के अनुसार क्वारंटाइन सेंटरों में ही खाना बनाने की व्यवस्था है ताकि बाहर से किसी को संक्रमण का खतरा न हो। जरा सोचिए.. क्या हम वाकई इतने पिछड़े हुए हैं? ग्राम प्रधान द्वारा तहरीर दी गई है और दोनों दोषियों के खिलाफ अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम, अस्पर्शयता निवारण अधिनियम और महामारी अधिनियम के तहत दोनों दोषियों के ऊपर कार्यवाही की मांग की गई है।