नैनीताल: नैनीताल से एक बड़ी खबर आ रही है। यह खबर सवाल खड़े कर रही है कि क्या यह खतरा बहुत बड़ा है? दरअसल नैनीताल की सबसे ऊंची चोटी नैना पीक के नीचे करीब 100 फुट लंबी और 3 फुट चौड़ी दरार आई है। इसके बाद शहर के लोगों में हड़कंप मच गया। लेकिन अब समस्या और बड़ी दिख रही है। कुल मिलाकर कहें तो नैना पीक की तलहटी वाला क्षेत्र संवेदनशील हो रहा है। 100 फीट लंबी और 3 फीट चौड़ी दरार नजर आने के बाद यहां सड़क पर भी गहरे गड्ढे दिखाई दिए हैं। बताया जा रहा है कि मंगलवार को टांकी बैंड के पास सड़क में गहरे गड्ढे दिखाई दिए हैं। गड्ढों के आसपास सड़क में दरार भी दिख रही है। बताया जा रहा है कि यहां एक गड्ढा बहुत गहरा है और सुरंग जैसा दिख रहा है। पूर्व सभासद भोपाल सिंह कार्की ने मीडिया को जानकारी दी है कि सड़क पर बने गड्ढे और दरारों के दिखने से लोगों के बीच दहशत है। आगे पढ़िए
ये भी पढ़ें:
यह भी पढ़ें - पहाड़ के इस गांव में कोरोना पॉजिटिव मिलने से हड़कंप..अब तक 28 लोग हुए आइसोलेट
आपको बताते चलें कि साल 1987 में नैना पीक में भूस्खलन हुआ था और इससे वहां काफी नुकसान हुआ था। कहा यह भी जाता है कि उस वक्त वन विभाग ने यहां भूस्खलन रोकने के लिए पहाड़ी में रामबास नागफनी जर्मन हां और सुरई के पौधे लगाए थे। बताया यह भी जाता है कि 1990 के बाद इस क्षेत्र की किसी ने सुध भी नहीं ली। फिलहाल मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और डीएम सविन बंसल को इस बारे में ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की गई है। आपको यह भी बता दें कि नैना पीक समुद्र तल से 2610 मीटर की ऊंचाई पर है इस की तलहटी में उत्तराखंड हाई कोर्ट और उत्तराखंड प्रशासन अकादमी समेत कई होटल स्थित है। फिलहाल सवाल ये है कि क्या यह खतरा बहुत बड़ा है? अगर खतरा बड़ा है तो इसके लिए क्या एक्शन प्लान है?