पिथौरागढ़: भारत-नेपाल के बीच रोटी-बेटी के संबंध रहे हैं, लेकिन चीन का मोहरा बन चुका नेपाल अब इन संबंधों का मान नहीं रख रहा। एक तरफ चीन ने भारत की मुश्किलें बढ़ाई हैं, तो वहीं दूसरी तरफ नेपाल भारतीय सीमा में लगातार सैन्य बलों की तैनाती कर रहा है। नापाक साजिशों पर उतरे नेपाल ने अब भारत-नेपाल बॉर्डर पर एक और इलाके में अपनी पोस्ट बनाई है। उत्तराखंड से लगने वाली सीमा पर पोस्ट का काम पूरा हो गया है। नेपाल ने अपने सशस्त्र पुलिस बल के लिए धारचूला में बटालियन मुख्यालय बनाया है। इससे पहले नेपाल ने जिले में एपीएफ की सिर्फ एक कंपनी की तैनाती की थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों से नेपाल सरकार भारत-नेपाल बॉर्डर पर लगातार सतर्कता बढ़ा रही है। भारत की तरफ से तवाघाट से लेकर लिपुलेख तक सड़क बनाए जाने के बाद नेपाल और भारत के संबंधों मे तनाव पसरा है। नेपाल ने भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा पर अपना दावा किया है। नेपाल में भारत विरोधी गतिविधियां जारी हैं। इस बीच नेपाल ने धारचूला बॉर्डर पर अपने सशस्त्र पुलिस बल यानी एपीएफ के लिए एक बटालियन मुख्यालय बनाया है। आगे पढ़िए
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सोमवार को यहां नेपाली कमांडेंट प्रभारी नरेंद्र बम ने कार्यभार संभाल लिया। नेपाल के इस कदम का मकसद धारचूला में काली नदी के साथ अपनी सीमाओं को मजबूत करना है। अपनी सेना के जरिए नेपाल भारत की गतिविधियों पर नजर रख रहा है। नेपाल छंगरु, डमलिंग, जौलजीबी, लाली, झूलाघाट और धारचूला में भी ज्यादा से ज्यादा सीमा चौकी बनाने के लिए योजनाएं बना रहा है। बॉर्डर पर नेपाल सेना की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए भारत ने भी उत्तराखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश के जिलों से लगने वाली अपनी कई सीमाओं पर अतिरिक्त पोस्टों का निर्माण किया है। यहां जवानों की संख्या बढ़ा दी गई है। आपको बता दें कि उत्तराखंड से नेपाल की 275 किलोमीटर लंबी सीमा लगी है। यहां पिथौरागढ़, चंपावत और ऊधमसिंहनगर जिले की सीमाएं नेपाल बॉर्डर से सटी हैं। कुछ दिन पहले नेपाल ने उत्तराखंड से लगने वाले खलंगा, छंगरु और झूलाघाट में अपनी बॉर्डर आउट पोस्ट बनाई थीं।