उत्तराखंड देहरादूनPradeep lingwan blog about ram mandir

...और आज हम इतिहास बनते देख रहे हैं, प्रदीप लिंग्वाण की कलम से

इतिहास ऐसे ही तो बनता है। उस वक्त ऐसा ही तो हुआ होगा। बस वक्त मीडिया कैमरा, लाइट नही थे, तो उन्होंने गीत, जागर, पँवाड़े, चौपाई, गद्य, पद्य में इतिहास आने वाली पीढ़ी को बताया। पढ़िए प्रदीप लिंग्वाण का ब्लॉग

Ram Mandir: Pradeep lingwan blog about ram mandir
Image: Pradeep lingwan blog about ram mandir (Source: Social Media)

देहरादून: इतिहास ऐसे ही बनता है, ऐसे ही तिलाड़ी कांड हुआ होगा, ऐसे ही बदरीनाथ जी की कृपा से सिर्फ कहने भर से गंगा वापस पलटी होगी (चण्डीघाट हरिद्वार) ऐसे ही माधो ने पुत्र बलि देकर मलेथा पानी पहुँचाया होगा। ऐसे ही कर्णावती ने मुगल सैनिकों की नाक काटी होगी। ऐसे ही गढ़वाल कुमाऊं में सामन्तो ने फूट डाल कर बैर कराया होगा, ऐसे ही फ्योंली और रूपा मरने के बाद दो फूल बने होंगे (बुरांश औऱ फ्योंली) ऐसे ही जीतू बगड़वाल को आछरी ले गयी होंगी। ऐसे ही रामी ने 12 साल तक पति का इंतजार किया। ऐसे ही बीरा बैणी के 7 भाइयों ने उसे राक्षस से बचाया होगा। ऐसे ही जसधवल ने नन्दा राजजात के नियम तोड़े होंगे और देवी इसी तरह कुपित हुई होगी, ऐसे ही उसकी अस्थियोँ का अम्बार रूप कुंड में लगा होगा, ऐसे ही उस युग का कोई सत्कर्मी जब मृत्यु को प्राप्त हुआ होगा तो उसका भावांश आज भी किसी देवी या देवता के नाम से किसी के शरीर में अवतरित होता है, ऐसे ही हमारे देवी देवता हम पर हमारे साथ में नाचते खेलते है। ऐसे ही सती प्रथा रही होगी और फिर मिटी होगी, ऐसे ही बाल विवाह होते होंगे फिर खत्म हुए होंगे। ऐसे ही मुगल काल आते ही पर्दा प्रथा शुरू हुई होगी। ऐसे ही जनक सुता छाया सीता और असली सीता अग्नि परीक्षा में एक हुई होगी। ऐसे ही मंसार पौड़ी में वो धरती समाई होगी।
ऐसे ही किसी ने राम मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनाई होगी और ऐसे ही भारत आजाद हुआ होगा। हमने नही देखा पर हमसे पहले वाली पीढ़ी ने देखा। हमने बस इतिहास पढा है, और आज हम इतिहास बनते देख रहे है। हमारी पुश्ते हमे इतिहास में पढ़कर गर्वित होगी।

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इतिहास जब वर्तमान में घटित हो रहा होता है तो उसे अगली पीढ़ी तक पहुचाने के लिये किसी माध्यम की आवश्यकता होती है। उन्होंने ग्रथों में सब कुछ लिखा, मूर्तियां उकेरी, कुछ ने लेख लिखे, पंच तंत्र की कथाएं लिखी। 5 हजार साल पुरानी है हमारी वैदिक सभ्यता, पांच हजार होते कितने है। बस उन्होंने उस वक्त के इतिहास को दिखाने के लिए कैमरे का ईजाद नही किया था तो वो काल्पनिक नही हो सकते। 500 साल से लड़ाई चल रही थी, सन 92 में युद्ध चरम पर गया। और मात्र हमारे बड़े होते ही हम उस सन 92 के इतिहास पर फैसले के बाद श्री राम का घर बनते देख रहे है। बस इतिहास ऐसे ही तो बनता है। 100 साल बाद इस इतिहास को याद करके वही प्रश्न आएंगे जो आजकल पढ़े लिखे बुद्धिजीवी करते है क्या सबूत है किसने देखा। पर फिकर नॉट इस इतिहास को समझने के लिए उनके पास वीडियोज की भरमार होगी आर्टिकल होंगे सुप्रीम कोर्ट का फैसला होगा। बस हमे जो हम है उस इतिहास पर विश्वास होना चाहिए फिर चाहे आप कितने मॉर्डन क्यों न बन जाए। आने वाली पीढ़ी को जरूर बताए कि हमारा इतिहास मिटाकर भी नही मिटा। उसके होने पर माननीय न्यायालय ने मुहर लगाई है।
जय श्री राम।
5 अगस्त 2020
अथ श्री राम मंदिर निर्माण भूमि पूजन प्रारम्भ।
मैं साक्षी हूँ अपने इतिहास का!
(मेरा नाम प्रदीप लिंग्वाण है, पवित्र देवभूमि उत्तराखंड से।
और मैं ये इतिहास मसूरी में बैठ कर लिख रहा हूँ।)