देहरादून: कोरोना संकट से जूझ रहे उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिशें जारी हैं। अनलॉक-3 में राज्य सरकार ने कई तरह की रियायतें दीं हैं। बुधवार को शासन ने नई गाइडलाइन भी जारी की। नई एसओपी में व्यवसायिक संस्थानों, निर्माण और उद्योगों को विशेष राहत दी गई है, लेकिन प्रदेश में अंतरराज्यीय परिवहन सेवाएं फिलहाल ‘लॉक’ रहेंगी। कोरोना संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए उत्तराखंड में फिलहाल दूसरे राज्यों की बसों के संचालन पर प्रतिबंध बना रहेगा। राज्य सरकार ने यूपी समेत तीन राज्यों में फिलहाल परिवहन निगम की बसें नहीं चलाने का फैसला लिया है। तीन राज्यों ने उत्तराखंड सरकार से बसों के संचालन की अनुमति मांगी थी। इस प्रस्ताव पर बुधवार को मुख्य सचिव ओम प्रकाश की अध्यक्षता में हुई बैठक में चर्चा हुई। जिसमें अंतरराज्यीय परिवहन सेवाएं बंद रखने का फैसला लिया गया। जब तक राज्य में कोरोना मरीजों की रिकवरी दर 90 फीसदी तक नहीं पहुंचती, तब तक इसे स्थगित ही रखा जाएगा। आगे भी पढ़िए
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ना तो उत्तराखंड से 3 राज्यों के लिए बसें जाएंगी और ना ही इन राज्यों से उत्तराखंड के लिए बसें आएंगी। दरअसल यूपी, हरियाणा और राजस्थान परिवहन निगम राज्य सरकार से बसों के संचालन की अनुमति मांग रहे हैं, लेकिन उत्तराखंड किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहता। बुधवार को हुई बैठक में कई बिंदुओं पर चर्चा हुई। बैठक में अधिकारियों ने कहा कि कोरोना रोकथाम को लेकर उत्तराखंड की स्थिति दूसरे राज्यों से बेहतर है।ऐसे में अगर दूसरे राज्यों से बसों के संचालन की अनुमति दी जाती है, तो उत्तराखंड में मरीजों के बढ़ने की संभावना है। इस आशंका के पीछे कई वजहें हैं। उत्तराखंड में राज्य सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक बसों में आधी सीटों पर ही सवारियां ले जाने और टिकट का दोगुना रेट करने की व्यवस्था लागू है, जबकि यूपी में इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है। वहां बसों में पूरी सवारियां बैठाई जा रही हैं। टिकट के दाम भी पहले जैसे हैं। ऐसी स्थिति में उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा भी बना रहेगा। मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने कहा कि राज्य में मौजूदा एसओपी के तहत फिलहाल बसों के अंतरराज्यीय संचालन पर रोक लागू रहेगी। अगर राज्य में कोरोना मरीजों की रिकवरी दर बेहतर होती है, तो इस पर फैसला लिया जाएगा।