देहरादून: यात्रियों के लिए एक अच्छी खबर है। कोरोना काल में थमी अंतरराज्यीय परिवहन सेवाएं एक बार फिर रफ्तार पकड़ने को तैयार हैं। राज्य सरकार ने अंतरराज्यीय बस सेवाएं शुरू करने का मन बना लिया है। तैयारी जारी है। दूसरे राज्यों के लिए परिवहन सेवाएं शुरू होने से यात्रियों को तो फायदा होगा ही। साथ ही रोडवेज और ट्रांसपोर्टर को भी राहत मिलेगी। ये लोग लंबे वक्त से अंतरराज्यीय परिवहन सेवाएं शुरू करने की मांग कर रहे थे। राज्य सरकार ने अंतरराज्यीय परिवहन सेवाओं का संचालन शुरू करने की तैयारी कर ली है। उत्तराखंड से किन राज्यों के लिए रोडवेज की बसें चलेंगी, ये भी जान लें। उत्तराखंड रोडवेज की बसें दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में सेवाएं देंगी। इन राज्यों से रोडवेज बसों के जरिए यात्री उत्तराखंड भी आ सकेंगे।
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अंतरराज्यीय बस सेवाओं के संचालन के संबंध में इसी हफ्ते आदेश जारी हो सकते हैं। फिलहाल अंतरराज्यीय परिवहन सीमित संख्या के साथ शुरू किया जाएगा। इसके लिए बसों की संख्या तय की जा रही है। बता दें कि मार्च में लगे लॉकडाउन के बाद से अंतरराज्यीय परिवहन सेवाएं बंद हैं। केंद्र सरकार ने अनलॉक-4 के तहत सभी राज्यों की सीमाओं पर लगी पाबंदी को हटाने के आदेश दिए थे। जिसके बाद पड़ोसी राज्यों की तरफ से अपनी सीमाएं परिवहन के लिए खोल दी गईं हैं, लेकिन उत्तराखंड से अब तक अंतरराज्यीय परिवहन सेवाओं को हरी झंडी नहीं मिली। उत्तर प्रदेश लंबे वक्त से उत्तराखंड सरकार से बसों का संचालन शुरू करने की मांग कर रहा है। राजस्थान, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश रोडवेज ने भी बसें संचालित करने की मंजूरी मांगी है।
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अब राज्य सरकार ने अंतरराज्यीय परिवहन सेवाएं शुरू करने का मन बना लिया है। राज्य सरकार के पॉजिटिव रुख को देखते हुए उत्तराखंड रोडवेज ने भी बसों के बाहरी राज्यों में संचालन की तैयारी शुरू कर दी है। रोडवेज महाप्रबंधक दीपक जैन ने कहा कि अगर सरकार मंजूरी देती है तो रोडवेज हर दिन 350 बसें दूसरे राज्यों के लिए संचालित कर सकता है। आपको बता दें कि इस वक्त उत्तराखंड रोडवेज की बसें या निजी बसें सिर्फ प्रदेश के भीतर ही संचालित हो रही हैं। जिन शहरों के रास्तों का कुछ हिस्सा उत्तर प्रदेश में पड़ता है, वहां बसों का संचालन नहीं हो रहा। बसों का संचालन ना होने की वजह से रोडवेज का घाटा बढ़ता जा रहा है। अब राज्य सरकार अंतरराज्यीय परिवहन खोलने की तैयारी कर रही है। इसके अलावा व्यावसायिक वाहनों का किराया कम करने और सवारियों की संख्या बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है।