उत्तराखंड Tehri garhwal student parag chaudhary made rocket

उत्तराखंड: किसान के बेटे ने किया मिनी रॉकेट का सफल परीक्षण..बधाई दें

रॉकेट बनाकर उसका सफल परीक्षण करने वाले पराग चौधरी इंजीनियरिंग के छात्र हैं। उनके पिता किसान हैं।

Garhwal student parag chaudhary: Tehri garhwal student parag chaudhary made rocket
Image: Tehri garhwal student parag chaudhary made rocket (Source: Social Media)

: प्रतिभा किसी उम्र की मोहताज नहीं होती। अब THDC के छात्र पराग चौधरी को ही देख लें। जिस उम्र में ज्यादातर छात्र करियर की कशमकश से जूझ रहे होते हैं, उस उम्र में पराग ने अपना खुद का रॉकेट बनाकर, इसका सफल परीक्षण भी कर दिया। वैज्ञानिक प्रतिभा वाले पराग की हर तरफ तारीफ हो रही है, कॉलेज प्रशासन और अभिभावक भी उनकी उपलब्धि से गदगद हैं। पराग चौधरी टीएचडीसी इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ते हैं। वो मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र हैं। पराग की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए कॉलेज के डीन एकेडमिक डॉ. रमना त्रिपाठी ने बताया कि डीआरडीओ और इसरो के प्रयोगों के चलते छात्रों में अंतरिक्ष विज्ञान को लेकर रुचि पैदा हो रही है।

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छात्र नए-नए प्रयोग कर रहे हैं। इसी कड़ी में कॉलेज के छात्र पराग चौधरी ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हुए एक मॉडल रॉकेट का निर्माण कर सफल परीक्षण किया। पराग हरिद्वार के रुड़की के रहने वाले हैं, उनके पिता किसान और माता गृहणी हैं। महान वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को अपना आदर्श मानने वाले पराग कहते हैं कि वो इस प्रोजेक्ट पर एक साल से काम कर रहे थे। कॉलेज के शिक्षकों की मदद से वो अपने प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने में कामयाब रहे। उन्हें दिल्ली स्थित स्पेस कंपनी एसडीएनएक्स सेंटर फॉर स्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी (एसडीएनएक्स सीएसआरटी) का मार्ग दर्शन मिला। रॉकेट को बनाने से पहले उन्होंने सॉफ्टवेयर की मदद से एक डिजाइन तैयार किया और उसका कंप्यूटर सिमुलेशन भी किया।

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पराग ने रॉकेट निर्माण में कुछ विशेष कंपोजिट और धातुओं का प्रयोग किया। रॉकेट बनाने के लिए जरूरी सामान खरीदने के लिए उन्होंने कॉलेज के टीईक्यूयूआईपी-3 द्वारा दिये गए फंड का इस्तेमाल किया। पराग ने बताया कि टिहरी प्रशासन की अनुमति से उन्होंने इसका सफल परीक्षण किया। इस दौरान रॉकेट ने 700 मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भरी। पराग जल्द ही दूसरे रॉकेट का परीक्षण करने वाले हैं। दूसरा रॉकेट डेढ़ किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ेगा और वहां के तापमान, वायु गति और दवाब का पता लगाएगा। होनहार पराग की चारों ओर तारीफ हो रही है। पराग अब रॉकेट के रिकवरी सिस्टम को बेहतर करने की तैयारियों में जुटे हैं। छात्र की इस उपलब्धि पर पूरा कॉलेज गौरवान्वित है।