देहरादून: उत्तराखंड में अफसरशाही के हाल किसी से छिपे नहीं हैं। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में अफसरशाही पूरी तरह हावी रही। बेलगाम अफसर मंत्रियों और विधायकों तक की नहीं सुनते थे। अहम बैठकों में पहुंचना जरूरी नहीं समझते थे, हालांकि अब नये मुखिया ने पूर्ववर्ती फैसलों को पलटने के साथ ही अफसरशाही के पेंच कसने भी शुरू कर दिए हैं। सोमवार को सीएम तीरथ सिंह रावत ने बीजेपी प्रदेश कार्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अफसरों को खरी-खरी सुनाई। उन्होंने कहा कि मैंने अफसरों को साफ कह दिया कि तुम किताब पढ़ो, मैं जनता के चेहरे पढूंगा। मुझे काम चाहिए, रिजल्ट चाहिए। एक तरह से उन्होंने कार्यकर्ताओं को संदेश दिया कि नौकरशाहों ने अगर किसी काम में अड़ंगा डालने की कोशिश की तो फिर अंजाम भी बुरा होगा। इस दौरान सीएम तीरथ सिंह रावत ने कई मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा कि वक्त कम है और चुनौती बड़ी है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने उत्तराखंड को कई ड्रीम प्रोजेक्ट दिए हैं, जिन पर काम जारी है। उन्होंने पहाड़ों में जिला विकास प्राधिकरण के गठन पर भी सवाल उठाए। सीएम तीरथ ने कहा कि पहाड़ में लोगों के पास दो-चार नाली जमीन होती है, तो फिर वहां प्राधिकरणों की जरूरत ही क्या है। विकास प्राधिकरणों से विधायक व मंत्री ही बदनाम होते रहे हैं, जबकि हकीकत में जेई व एई माल कमाते हैं। सीएम ने कहा कि अफसरों को साल 2022 तक हर घर में नल और पानी पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं। बता दें कि सोमवार को सीएम तीरथ सिंह रावत नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के कार्यभार ग्रहण कार्यक्रम में पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले चार वर्ष में प्रदेश में खूब काम हुए। कार्यकर्ताओं को इन कामों को जनता के बीच ले जाने में कंजूसी नहीं करनी चाहिए। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, सुबोध उनियाल, बिशन सिंह चुफाल और राज्यमंत्री धन सिंह रावत भी मौजूद थे।