उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालSatbir saved his sisters in pauri garhwal

गढ़वाल: इस भुला को सलाम..जंगल की भीषण आग से अपनी दो बहनों को बचाया

जंगलों की भीषण आग से अपनी 2 बहनों और बकरियों को बचा कर बहादुरी की जीती-जागती मिसाल पेश करने वाले सतबीर को हर कोई दाद दे रहा है।

Pauri garhwal satbir: Satbir saved his sisters in pauri garhwal
Image: Satbir saved his sisters in pauri garhwal (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: पहाड़ियों की हिम्मत की सभी दाद देते हैं। पहाड़ आपको कुछ और सिखाएं न सिखाएं मगर हिम्मत, बहादुरी और मुसीबतों का सामना करना सिखा ही देते हैं। तभी पहाड़ों पर रहने वाले बच्चे-बच्चे के अंदर डर का सामना करने की हिम्मत होती है और वे बेहद बहादुर भी होते हैं। इसका जीवंत उदाहरण पौड़ी गढ़वाल में देखिए। उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के सतबीर ने बहादुरी की मिसाल पेश की है। पौड़ी गढ़वाल के 18 वर्ष के सतबीर ने अपनी दो बहनों और अपने जानवरों को बचाने के लिए जंगलों की भीषण आग से मोल ले लिया और उसने जंगल की धधकती हुई आग के बीच अपनी जान दांव पर लगाकर न केवल अपने दो बहनों को जंगलों की भीषण आग से बचाया बल्कि उसने 30 बकरियों को भी जंगल में लगी भीषण आग से बचा लिया। इस संघर्ष में सतबीर बुरी तरह झुलस गया है। 11वीं कक्षा में पढ़ने वाला केवल 18 वर्ष के सतबीर द्वारा हिम्मत का ऐसा प्रदर्शन करने के बाद पूरे गांव में सतबीर का नाम सबकी जुबान पर चढ़ा हुआ है। आग में झुलसे हुए सतबीर का उपचार कोटद्वार के बेस अस्पताल में चल रहा है और उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है।

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घटना बीते रविवार के शाम की बताई जा रही है। पौड़ी गढ़वाल जिले के द्वारीखाल ब्लॉक के ग्राम सिमल्या का रहने वाला सतबीर अपनी 35 बकरियों को लेकर जंगल में गया था। सतबीर के साथ में उसकी 11 वर्ष की छोटी बहन किरण और 13 वर्ष की बहन सिमरन भी थी। जिस जंगल में सतबीर अपनी बकरियों को ले गया था उस जंगल की दूसरी ओर आग लगी हुई थी मगर जिस तरफ वे लोग थे वहां पर सब कुछ ठीक था। कुछ देर बाद सतबीर को और उसकी दोनों बहनों को बकरियों को लेकर गांव की ओर वापस लौटना था मगर इसी बीच जंगल में तेज हवाएं चलने लगीं और देखते ही देखते जंगल के दूसरी तरफ लगी हुई आग उनकी तरफ तेजी से बढ़ गई। सतबीर ने बताया कि बातें करने में व्यस्त होने पर उन सब को पता ही नहीं लगा कि कब वे जंगलों की आग के बीच में घिर गए। जंगलों की आग की भीषण लपटों ने सतबीर और उसकी बहनों के साथ सभी बकरियों को चारों तरफ से घेर लिया और देखते ही देखते वे तेजी से बढ़ने लगी। चारों तरफ आग की भीषण लपटों को देखकर तीनों लोग बेहद सहम गए। आग से चारों तरफ घिरी हुई 13 वर्ष की मासूम सिमरन और 11 वर्ष की किरण जोर-जोर से रोने लग गईं। मगर सतबीर ने हिम्मत नहीं हारी और उसने जंगलों की आग से सब को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए पेड़ों की हरी टहनियों को तोड़ना शुरू किया और आग बुझाना शुरू किया।

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सतबीर की इस कोशिश के बाद लपटों के बीच से निकलने का एक रास्ता बन गया और सतबीर ने तुरंत ही अपनी दोनों बहनों को आग की तेज लपटों से सुरक्षित बाहर निकाला लेकिन तब भी सतबीर की 35 बकरियां आग की लपटों के बीच थीं। अपनी दोनों बहनों को सुरक्षित आग की लपटों से बाहर निकालने के बाद सतबीर एक बार फिर से मौत के मुंह में जा घुसा और उसने अपनी हिम्मत का प्रदर्शन करते हुए अपने घर की सभी बकरियों को आग की लपटों से बाहर निकाला। आग के घेरे में वापस पहुंचा सतबीर अपनी 35 बकरियों में से 30 बकरियों को सुरक्षित बाहर निकालने में कामयाब रहा। इस पूरे खौफनाक मंजर में सतबीर की पांच बकरियों की जान चली गई मगर अन्य 30 बकरियों की जान बच गई। अपनी बहनों और अपनी बकरियों को बचाने की जद्दोजहद में सतबीर बेहद बुरी तरह झुलस गया और उसके कपड़ों ने आग पकड़ ली। ऐसे में सतबीर में समझदारी दिखाते हुए तेजी से 300 मीटर दूर नदी की ओर छलांग मार दी। इसी बीच सतबीर की दोनों बहनों ने गांव में जाकर सभी को इस हादसे की सूचना दी जिसके बाद गांव के निवासी मौके पर पहुंचे और सतवीर को नदी से निकालकर कोटद्वार के बेस चिकित्सालय ले जाया गया। चिकित्सकों ने सतबीर को खतरे से बाहर बताया है और सतबीर का इलाज चल रहा है। सतबीर ने जिस तरह बहादुरी और हिम्मत का प्रदर्शन कर अपनी बकरियों और अपनी दोनों बहनों को आग की खतरनाक लपटों से बचाया है उसके बाद से सभी ग्रामीण सतबीर की जमकर तारीफ कर रहे हैं।