उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालAnimation film on Teelu Rauteli

उत्तराखंड: तीलू रौतेली की शौर्यगाथा पर बन रही है एनिमेशमन फिल्म..आप भी देखिए ट्रेलर

तीलू रौतेली के पराक्रम की शौर्यगाथा महज पहाड़ तक सीमित रह गई है। इस गाथा को अब एनिमेशन मूवी के माध्यम से देश-दुनिया तक पहुंचाने की तैयारी है। देखिए वीडियो

Teelu Rauteli: Animation film on Teelu Rauteli
Image: Animation film on Teelu Rauteli (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: वीरांगना तीलू रौतेली। उत्तराखंड की वो महान नारी जिसने अपनी मातृभूमि को दुश्मनों से बचाने के लिए 20 साल की आयु में 7 युद्ध लड़े। युद्ध में अदम्य शौर्य का परिचय देने वाली तीलू रौतेली गढ़वाल की लक्ष्मीबाई के नाम से विख्यात है। तीलू रौतेली की वीरता के किस्से उत्तराखंड के गांव-गांव में सुनने को मिल जाते हैं, लेकिन उनके पराक्रम की शौर्यगाथा महज पहाड़ तक ही सीमित रह गई है। इस गाथा को अब एनिमेशन मूवी के माध्यम से देश-दुनिया तक पहुंचाने की तैयारी है। वीरांगना तीलू रौतेली पर एनिमेशन मूवी का निर्माण हो रहा है, जिसका ट्रेलर यूट्यूब पर रिलीज हुआ है। इस एनिमेशन मूवी के माध्यम से बच्चे तीलू रौतेली की जीवन यात्रा को करीब से जान पाएंगे। आगे देखिए वीडियो

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जिस तरह मूलॉन, मोआना और स्नो क्वीन की वीरता की कहानियां बच्चों को प्रेरित करती हैं, उसी तरह पहाड़ की वीर राजकुमारी तीलू रौतेली की कहानी भी निश्चित तौर पर बच्चों को खूब पसंद आएगी। वो पहाड़ की वीर राजकुमारी के जीवन को करीब से जान सकेंगे, उससे जुड़ाव महसूस कर सकेंगे। यहां आपको वीरांगना तीलू रौतेली के बारे में कुछ और बातें बताते हैं। तीलू रौतेली का जन्म आठ अगस्त 1661 को ग्राम गुराड़, चौंदकोट (पौड़ी गढ़वाल) के भूप सिंह रावत (गोर्ला) और मैणावती रानी के घर में हुआ था। तीलू रौतेली ने अपने बचपन का अधिकांश समय बीरोंखाल के कांडा मल्ला गांव में बिताया। तीलू के दो भाई भगतू और पत्वा थे। 15 वर्ष की उम्र में ईडा, चौंदकोट के थोकदार भूम्या सिंह नेगी के पुत्र भवानी सिंह के साथ धूमधाम से तीलू की सगाई कर दी गई। तीलू घुड़सवारी और तलवारबाजी में निपुण थीं। उस वक्त गढ़ नरेशों और कत्यूरी राजाओं के बीच पारस्परिक युद्ध चल रहा था।

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इस दौरान कत्यूरी राजाओं ने खैरागढ़ पर आक्रमण कर दिया। तब गढ़नरेश ने वहां की रक्षा की जिम्मेदारी तीलू के पिता और भाईयों को सौंप दी। भूप सिंह ने आक्रमणकारियों से डटकर मुकाबला किया लेकिन वो युद्ध में अपने दोनों बेटों और तीलू के मंगेतर के साथ शहीद हो गए। पिता, भाईयों और मंगेतर के निधन से आहत तीलू ने प्रतिशोध लेने तथा खैरागढ़ समेत आसपास के इलाकों को आक्रमणकारियों से मुक्त कराने का प्रण किया। पुरुष वेश में तीलू ने छापामार युद्ध में सबसे पहले खैरागढ़ को कत्यूरियों से मुक्त कराया। बाद में उमटागढ़ी और सल्ट को जीता। युद्ध के बाद वापसी में घर लौटते हुए एक दिन तीलू नयार नदी में पानी पी रही थी। तभी शत्रु के एक सैनिक रामू रजवार ने धोखे से तीलू पर तलवार से वार कर दिया। तीलू के रक्त से नदी का पानी लाल हो गया। वीरांगना तीलू की याद में आज भी कांडा ग्राम व बीरोंखाल क्षेत्र में हर साल कौथिग का आयोजन होता है। पहाड़ की इस महान वीरांगना की वीरगाथा जल्द ही एनिमेशन मूवी के रूप में देखने को मिलेगी।

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