उत्तराखंड पिथौरागढ़Pithoragarh Munsiyari Martyr Harish Chandra Singh family upset

उत्तराखंड शहीद की शहादत का अपमान? 6 साल से देहरादून से पिथौरागढ़ नहीं पहुंची सरकारी चिट्ठी

सैन्य भूमि में शहीदों और शहादत के साथ ये कैसा मजाक हो रहा है। पढ़िए Munsiyari Shaheed Harish Chandra Singh के परिवार का दर्द

Munsiyari Shaheed Harish Chandra Singh: Pithoragarh Munsiyari Martyr Harish Chandra Singh family upset
Image: Pithoragarh Munsiyari Martyr Harish Chandra Singh family upset (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: प्रदेश में चुनावी रंग जमने लगा है। वादों का दौर भी जारी है। नेता एक बार फिर जनता के बीच पहुंच रहे हैं, उनकी दिक्कतों को चुटकी बजाकर दूर कर देने के हवाई दावे भी कर रहे हैं, लेकिन सरकार और सरकारी महकमों का हाल क्या है, ये सब जानते हैं। एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक इस बार मामला पिथौरागढ़ से जुड़ा है। यहां शहीदों के नाम पर एक गांव में पार्क और तोरणद्वार बनाया जाना था। मदकोट-उच्छैती सड़क का नाम भी Munsiyari Shaheed Harish Chandra Singh के नाम पर रखने की घोषणा हुई थी, लेकिन घोषणा से जुड़ा सरकारी आदेश छह साल बाद भी गांव नहीं पहुंच सका है, जो कि वाकई शर्मनाक है। सीमांत जिला पिथौरागढ़ राजधानी देहरादून से 500 किलोमीटर दूर है। विभाग को जो आदेश जरूरी लगते हैं वो 24 घंटे के भीतर जिले में पहुंच जाते हैं, लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि आम जनता से जुड़े मुद्दों के आदेश सालों तक विभाग को नहीं मिलते। फिर चाहे वह शहीदों से जुड़ा मामला ही क्यों न हो। मुनस्यारी तहसील के बौथी गांव से जुड़े मामले में भी यही हुआ। यहां गांव में रहने वाले हरीश चंद्र सिंह ने कारगिल युद्ध के दौरान देश के लिए अपनी शहादत दी थी।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड की महिला को UP में 60 हजार में बेचा, बच्ची की गर्दन पर चाकू रख कर रेप
उस वक्त तमाम जनप्रतिनिधि गांव में पहुंचे, तमाम घोषणाएं भी कीं। साल 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कार्यालय से इन घोषणाओं को पूरा करने के लिए आदेश भी जारी हो गए। जिसकी चिट्ठी शहीद के घरवालों को तो मिल गई, लेकिन लोनिवि को ये चिट्ठी 6 साल बाद भी नहीं मिली है। शहीद के भाई किशन सिंह 6 साल से लोनिवि दफ्तर और जिला मुख्यालय के चक्कर काट रहे हैं। वो सीएम दफ्तर से जारी चिट्ठी की प्रतिलिपि भी अधिकारियों को दिखा चुके हैं, लेकिन विभागीय अधिकारियों के पास रटा-रटाया जवाब है कि उन्हें चिट्ठी नहीं मिली। बगैर आदेश के वो कुछ नहीं कर सकते। लोनिवि की कार्यप्रणाली ने शहीद के भाई को तोड़कर रख दिया है। किशन सिंह ने बताया कि उनके परिवार के लोग तीन पीढ़ियों से सेना में सेवा दे रहे हैं। उन्हें पार्क और तोरणद्वार भी नहीं चाहिए। लोनिवि सिर्फ मोटर मार्ग का नाम Munsiyari Shaheed Harish Chandra Singh के नाम पर कर दे, हमारे लिए इतना ही काफी है। उधर, मामले को लेकर मुनस्यारी एसडीएम बीएस फोनिया ने कहा कि मामले में जानकारी जुटाकर संभव कार्रवाई की जाएगी।