उत्तराखंड forigner people learning garhwali in uttarakhand

Video: देवभूमि में आकर विदेशी भी बने पहाड़ी, अब आपसे बेहतर गढ़वाली बोलते हैं..देखिए

अगर आपको लगता है कि गढ़वाली बोलने में शर्म आती है तो, जरा इन विदेशियों को भी देख लीजिए। ये वीडियो आपके लिए है।

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Image: forigner people learning garhwali in uttarakhand (Source: Social Media)

: आज जहां हम राष्ट्रभाषा हिन्दी के बजाय इंग्लिश के अहमियत दे रहे है। अंग्रेजी अपनाने की ऐसी होड़ मची है कि हम ये ही भूल गए है कि हमारी जड़े कहां है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि उत्तराखंड में कुछ ऐसी जगह है जहां विदेश ने आए लोग स्थानीय भाषा सीख रहे हैं। देवभूमि का उत्तरकाशी जिला जो मां गंगा यमुना का मायका कहलाता है। ये ही जिला अब अपनी एक अलग पहचान बना रहा है। जिले में इन दिनों एक अलग ही नजारा देखने को मिल रहा है। यहां आने वाले विदेशी पर्यटक जिले की असी गंगा घाटी में गढ़वाली भाषा पूरी मेहनत से सीख रहे है। इस तरह से वो लोग स्थानीय लोगों से आसानी बातचीत कर पा रहे हैं। असी गंगा घाटी में स्थित संगम चट्टी से करीब पांच किमी की पैदल चढ़ाई के बाद आता है अगोड़ा गांव। ये जगह विदेशी पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है।

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इसी तरह से ही उत्तराखंड के गढ़वाल अंचल में बसा लालुड़ी गांव भी विदेशियों को बेहद पसंद है। यहां सालभर पर्यटकों की चहलकदमी बनी रहती है। यहां पर्यटकों के लिए होम स्टे के जरिए नाइट स्टे की भी व्यवस्था है। जो स्थानीय लोगों की आजीविका का सहारा भी है। लेकिन भाषायी दिक्कत की वजह से पर्यटक ग्रामीणों से तालमेल नहीं बैठा पाते है। इसी को देखते हुए अब यहां आने वाले सैलानी हिन्दी और गढ़वाली भाषा सीखते हैं और ग्रामीण अंग्रेजी सीख रहे हैं। आलम यह है कि एक-दूसरे का पूरक होने के बावजूद जहां ग्रामीण फर्राटेदार अंग्रेजी का प्रयोग करते हैं, वहीं विदेशी पर्यटक शालीनता भरी हिंदी और गढ़वाली बोलते हैं। लालुड़ी आने वाले कई ऐसे पर्यटक है जो लगातार कई सालों से यहां आ रहे है। ऐसे में यहां लगातार आने वाले सैलानी तो फर्राटेदार गढ़वाली बोलते हैं।

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आपको बता दे कि सैलानियों के बीच अगोड़ा गांव इसलिए भी लोकप्रिय हैं क्योंकि यहां से डोडीताल के लिए ट्रैकिंग रूट जाता है।इसी तरह से लालुड़ी गांव का भी नज़ारा अद्भुत होता है। जो गांव कभी खाली हो रहे थे, उन गांवों में विदेश से रौनक लौटी है। आप भी ये बेहतरीन वीडियो देखिए। ये पूरा वीडियो लालुड़ी में ही शूट किया गया है। इससे आपको अंदाजा होगा कि किस तरह से विदेशी मेहमान गढ़वाली संस्कृति के रंग में रंग रहे हैं।

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