उत्तराखंड देहरादूनdehradun father in law does widow daughter in law kanyadan

उत्तराखंड से एक अच्छी खबर, ससुर ने पिता बनकर किया विधवा बहू का कन्यादान

एक विधवा की जिंदगी फिर से खुशहाल हो गई और इसमें विधवा बहू का साथ उसके सास-ससुर ने ही दिया। कितनी अच्छी बात है। पढ़िए आज की अच्छी खबर

उत्तराखंड न्यूज: dehradun father in law does widow daughter in law kanyadan
Image: dehradun father in law does widow daughter in law kanyadan (Source: Social Media)

देहरादून: किसी की संवेदनाओं को समझना ही मानवता है। एक बेटी अपना घर छोड़कर ससुराल आई। समय बीतता गया और एक दिन उसे वक्त की सबसे बुरी मार झेलनी पड़ी। एक हादसे में उसके पति की मौत हो गई और वो विधवा हो गई। आज भी समाज में कुछ ऐसे लोग हैं, जो विधवा विवाह पर कई सवाल खड़े करते हैं लेकिन इस बेटी के सास ससुर ने ही अपनी बहू को नई ज़िंदगी दी है। सास-ससुर ने अपनी बहू को बेटी सा प्यार दिया, उसके लिए लड़का ढूंढा और फिर उसकी शादी धूमधाम से करवा दी। समाज को प्रेरित करने के लिए इससे बेहतर उदाहरण क्या हो सकता है ? ससुर ने बहू के पिता की भूमिका निभाई और अपने हाथों से कन्यादान कर शादी की रस्में निभाई। देहरादून की इस खबर के बारे में जानकर हर कोई तारीफ कर रहा है। जानिए पूरी कहानी।

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देहरादून के बालावाला के रहने वाले हैं विजय चंद। उनके बेटे संदीप की शादी साल 2014 में कविता से हुई थी। परिवार में सब ठीक-ठाक चल रहा था, कविता और संदीप एक दूसरे के साथ जिंदगी के सबसे बेहतरीन पल बिता रहे थे लेकिन ना जाने इन खुशियों को किसकी नज़र लग गई। साल 2015 में एक हादसा हुआ और संदीप की मौत हो गई। हरिद्वार में हुए हादसे ने संदीप के परिवार का कलेजा चीर कर रख दिया। कविता के लिए तो ये सब कुछ किसी बड़े झटके से कम नहीं था। ऐसे में कविता के ससुर विजय चंद और सास कमला ने उसे हिम्मत दी। ज़रा सोचिए माता-पिता अपने बेटे के जाने के गम में भी आंसू बहा रहे थे और दूसरी तरफ बहू को भी संभालना था। कविता कहती हैं कि एक बार तो वो अपने मायके जाने के बारे में भी सोचने लगी थीं।

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दिमाग में ख्याल जरूर आया लेकिन जिन सास-ससुर को कविता मां-बाप मान चुकी थी, उन्हें छोड़कर जाना भी मुश्किल ही था। सास- ससुर की फिक्र करते हुए कविता भी उन्हीं के साथ रहने लगी। बहू की जिंदगी में आया सूनापन सास-ससुर को अच्छा नहीं लग रहा था। इस बीच उन्होंने ही कविता से दूसरी शादी की बात की। किसी तरह से कविता मानी, तो उसके लिए लड़का तलाशना शुरू किया गया। ऋषिकेश के रहने वाले तेजपाल सिंह पर जाकर उनकी तलाश खत्म हुई। दोनों परिवारों के बीच सहमति बनी, तो कविता की शादी तेजपाल से करवा दी गई। सास-ससुर वने भीगी आंखों के साथ अपनी बहू कविता को विदा किया। कविता का घर दोबारा बस गया और ये ही तो सास-ससुर की इच्छा थी। समाज में आज भी कई लोग ऐसे हैं, जो विधवा विवाह को लेकर सवाल खड़े करते हैं लेकिन कविता के सास-ससुर ने एक मिसाल पेश की है।