उत्तराखंड पिथौरागढ़jawan narayan singh parihar pithoragarh

उत्तराखंड: 11 दिन से घर नहीं पहुंचा जवान का पार्थिव शरीर, मां-पिता और पत्नी ने छोड़ा खाना

मकालू अभियान के दौरान हादसे का शिकार हुए जवान नारायण सिंह का पार्थिव शरीर 11 दिन बाद भी उनके घर नहीं पहुंचा है..उनके परिजनों ने पिछले 11 दिन से खाना नहीं खाया है।

उत्तराखंड: jawan narayan singh parihar pithoragarh
Image: jawan narayan singh parihar pithoragarh (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: आपको 16 मई का वो मनहूस दिन जरूर याद होगा, जब पिथौरागढ़ के रहने वाले जवान नारायण सिंह परिहार की मकालू चोटी आरोहण के वक्त हुए हादसे में मौत हो गई थी। मकालू को फतह कर लौटते वक्त नारायण सिंह बर्फ में दब गए थे। इस हादसे को 11 दिन हो चुके हैं, लेकिन नारायण सिंह परिहार का पार्थिव शरीर अब तक उनके पैतृक गांव नहीं पहुंचा। उनके परिजन इस वक्त किस दर्द और तकलीफ से गुजर रहे हैं इसका आप और हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते। जवान बेटे की मौत के बाद परिवार में मातम पसरा है। जवान के माता-पिता और पत्नी रो-रोकर बेसुध हो गए हैं। इस घर में पिछले 11 दिन से खाना नहीं बना। जिस घर का जवान बेटा बिना अलविदा कहे चला गया हो, वहां किसी को भूख कैसे लग सकती है। जवान के छोटे-छोटे बच्चे हैं, जिन्हें पड़ोस में रहने वाले लोग खाना खिला रहे हैं। ये बच्चे भी अपने पिता को याद कर बिलख रहे हैं। इस परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है, लेकिन प्रशासन के किसी प्रतिनिधि ने अब तक इनकी सुध नहीं ली।

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जवान नारायण सिंह के पिता वीर सिंह, माता मोतिमा देवी और पत्नी दीपा देवी पिछले 11 दिन से भूखे हैं, इनकी हालत दयनीय है। आस-पास के लोग किसी तरह उन्हें सांत्वना दे रहे हैं, लेकिन डीएम और दूसरे जनप्रतिनिधि पीड़ित परिवार से मिलने तक नहीं आए। बताया जा रहा है कि डीएम के इस संवेदनहीन रवैय्ये के प्रति लोगों में गुस्सा है। रविवार को धारचूला से आई मेडिकल टीम ने पिछले कई दिनों से भूखे परिजनों का स्वास्थ्य परीक्षण किया। इसी बीच पता चला है कि जवान नारायण सिंह परिहार का पार्थिव शरीर 11वें दिन बर्फ से निकाल कर नेपाल के काठमांडू पहुंचा दिया गया है। काठमांडू में पोस्टमार्टम के बाद शव को दिल्ली भेज दिया जाएगा। दो दिन के भीतर जवान के पार्थिव शरीर के पैतृक गांव पहुंचने की संभावना है। आपको बता दें कि कनार गांव के रहने वाले कुमाऊं स्काउट के जवान नारायण सिंह परिहार सेना के उस दल का हिस्सा थे, जो हिमालय की छठीं सबसे ऊंची मकालू चोटी पर पर्वतारोहण अभियान पर गया था। मकालू पर जीत हासिल करने के बाद वापसी के दौरान बर्फ में दबने से नारायण सिंह परिहार की मौत हो गई थी। उनकी मौत के बाद पूरे क्षेत्र में मातम पसरा है, परिजन जवान के पार्थिव शरीर के घर पहुंचने का इंतजार कर रहे हैं।