उत्तराखंड देहरादूनdehardun driving licence

देहरादून में अब आसान नहीं होगा ड्राइविंग लाइसेंस बनाना, सेंसर तय करेगा सारी बात

1 जुलाई से कार और दुपहिया के ड्राइविंग लाइसेंस आरटीओ में नहीं बल्कि झाझरा आईटीडीआर में बनेंगे...प्रक्रिया से जुड़ी ये जरूरी बातें भी जान लें

देहरादून: dehardun driving licence
Image: dehardun driving licence (Source: Social Media)

देहरादून: मोटर ड्राइविंग स्कूल के जरिए जुगाड़ से लाइसेंस बनवाने और बनाने वालों के लिए बुरी खबर है। देहरादून में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना अब आसान नहीं होगा। यहां अगर किसी को लाइसेंस बनवाना है तो उसे ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक पर परीक्षा देनी होगी। परीक्षा के बाद ड्राइवर को लाइसेंस मिलेगा या नहीं, ये डिजीटल सेंसर और वीडियो रिकार्डर तय करेगा। यहां गलती की कोई माफी नहीं होगी, गाड़ी ट्रैक पर से इधर-उधर हुई नहीं कि आप झट से फेल का तमगा पा जाएंगे, फिर लाइसेंस को तो भूल ही जाएं। इससे नौसिखिए ड्राइवरों की दिक्कत बढ़ने वाली है, क्योंकि परिवहन विभाग झाझरा स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग एंड ट्रैफिक रिसर्च (आईटीडीआर) में ड्राइविंग की परीक्षा के लिए ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट सिस्टम तैयार कर चुका है। इस वक्त ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने के लिए सिम्युलेटर टेस्ट प्रक्रिया अपनाई जा रही है, जिसे जल्द ही खत्म कर दिया जाएगा।

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लाइसेंस के लिए अब वाहन चालक को ड्राइविंग ट्रैक पर परीक्षा देनी होगी। ये व्यवस्था 1 जुलाई से लागू होने जा रही है क्योंकि इसी दिन लाइसेंस सेक्शन आइडीटीआर में शिफ्ट हो जाएगा। इसके बाद दुपहिया और चौपहिया वाहनों के लाइसेंस वहीं बनेंगे। बता दें कि अब तक केवल कर्मशियल वाहन चलाने वालों को ही ट्रैक पर टेस्ट देना होता था। अब ये व्यवस्था सबके लिए लागू हो जाएगी। जो भी वाहन चालक टेस्ट पास कर लेगा उसके घर डाक से लाइसेंस भेजा जाएगा। कमर्शियल डीएल के लिए ये व्यवस्था 18 फरवरी से शुरू कर दी गई थी। सीधे शब्दों में कहें तो अब दून में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना आसान नहीं होगा। लाइसेंस आवेदक को आईटीडीआर में टेस्ट देना होगा। यहां बने ट्रैक में ड्राइवर की हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए हाइटेक सिस्टम तैयार किया गया है। गाड़ी चलाने वाले का हर मूवमेंट सीसीटीवी कैमरे में कैद होगा।

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उसे सेंसर की निगरानी में टेस्ट देना होगा। आवेदक को केवल गाड़ी चलाना ही नहीं उसे पार्क करना भी आना चाहिए। आईटीडीआर में बने ट्रैक पर गाड़ी पार्क करना ही सबसे मुश्किल काम है। क्योंकि अगर आवेदक निर्धारित जगह पर गाड़ी पार्क नहीं कर पाया तो लाइसेंस नहीं बन पाएगा। आपको बता दें कि इस वक्त प्रदेश में ड्राइविंग लाइसेंस टेस्ट के लिए ऑटोमेटेड टेस्टिंग लेन नहीं है, जिसका फायदा बिचौलिए उठा रहे हैं। मोटर ट्रेनिंग स्कूल जिसे भी प्रमाण पत्र थमा देते हैं, उसे लाइसेंस मिल जाता है। इससे लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा भी खूब हो रहा है। धांधली और फर्जीवाड़े को रोकने के लिए ही परिवहन विभाग ने लाइसेंस प्रक्रिया आरटीओ दफ्तर की बजाय आइडीटीआर झाझरा में शुरू करने का फैसला लिया है। 1 जुलाई से कार और दुपहिया वाहनों के लाइसेंस यहीं बनेंगे।