उत्तराखंड Good news for uttarakhand farmers

कोदा-झंगोरा की खेती से मालामाल होंगे पहाड़ के किसान..त्रिवेंद्र कैबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला

अब कोदे-झंगोरे जैसे पारंपरिक अनाजों की पैदावार से किसानों को दोगुना मुनाफा होगा, साथ ही इसे बाजार में बेचने की टेंशन भी नहीं रहेगी...पढ़िए पूरी खबर

उत्तराखंड न्यूज: Good news for uttarakhand farmers
Image: Good news for uttarakhand farmers (Source: Social Media)

: उत्तराखंड में सरकार बनाते वक्त बीजेपी ने किसानों से जो वादा किया था, वो वादा त्रिवेंद्र सरकार निभा भी रही है। प्रदेश में किसानों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चल रही हैं। इसी कड़ी में अब त्रिवेंद्र सरकार ने पारंपरिक फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य और मार्केटिंग के लिए रिवॉल्विंग फंड को मंजूरी दे दी है। मार्केटिंग के लिए 10 करोड़ का रिवॉल्विंग फंड मंजूर हुआ है, किसानों के हक में लिया गया ये बड़ा फैसला है। जिसके दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे। हाल ही में पौड़ी में हुई त्रिवेंद्र कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगी। प्रदेश के किसानों के लिए ये राहत वाला फैसला है। ऐसा होने पर किसानों को क्या-क्या फायदे होंगे, ये भी जान लें। उत्तराखंड कृषि उत्पादन विपणन बोर्ड अब किसानों से सीधे तौर पर फसलें खरीदेगा और इनकी प्रोसेसिंग कर आगे बेचेगा। मार्केटिंग के लिए अब किसानों को बिचौलियों का मुंह नहीं ताकना पड़ेगा। किसानों को उनकी मेहनत का, उनकी फसल का सही दाम मिलेगा। प्रदेश में ये पहली बार हुआ है कि प्रदेश सरकार ने पारंपरिक फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है। प्रदेश के दस लाख किसानों को इसका फायदा मिलेगा। उनकी आय दोगुनी होगी। आगे जानिए पूरा प्लान

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पहले चरण में मंडुवा, झंगोरा, चौलाई, गहत, काला भट्ट, राजमा का एमएसपी तय किया गया है। ये उत्तराखंड की पारंपरिक फसले हैं। इसके साथ ही उत्तराखंड कृषि उत्पादन विपणन बोर्ड के जरिए 10 करोड़ का रिवाल्विंग फंड बनाया जाएगा, ताकि बिचौलियों का धंधा खत्म कर किसानों से सीधे अनाज खरीदा जा सके। ये भी जान लें कि पर्वतीय इलाकों में होने वाली किस-किस फसल के समर्थन मूल्य को सरकार ने मंजूरी दी है। उत्पादन और लागत का आंकलन करने के बाद झंगोरा का एमएसपी 1950 रुपये प्रति क्विंटल, चौलाई 2935 रुपये, काला भट्ट 3468 रुपये, गहत 7725 रुपये और राजमा 7920 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया। कुल मिलाकर अब किसानों की आय तो बढ़ेगी ही, साथ ही उन्हें अपने उत्पाद बेचने की टेंशन भी नहीं रहेगी। अब तक एमएसपी तय ना होने की वजह से किसान बड़ा नुकसान उठा रहे थे। उन्हें फसल का सही दाम नहीं मिलता था। मार्केटिंग के लिए बिचौलियों की खुशामद करनी पड़ती थी। अब ऐसा नहीं होगा। उत्तराखंड कृषि उत्पादन विपणन बोर्ड पहाड़ी उत्पाद किसानों से खरीदेगा, जिसे प्रोसेसिंग कर बेचने की जिम्मेदारी मंडी समितियों की होगी। इस फैसले से पहाड़ में दम तोड़ती खेती को जीवनदान मिलेगा, साथ ही पहाड़ी अनाजों को बड़े स्तर पर बेचा जा सकेगा।