उत्तराखंड sagar thayat won gold medel in world paralampic

धन्य है पहाड़ का ये लाल..कभी हादसे में गंवाए दोनों पैर, अब वर्ल्ड पैरालंपिक में जीता गोल्ड मेडल

उत्तराखंड के सागर थायत ने स्विटजरलैंड में हुए वर्ल्ड पैरालंपिक में देश के लिए गोल्ड मेडल जीता है..दोनों पैर न होने के बाद भी सागर ने जज्बे की मिसाल कायम की है।

उत्तराखंड न्यूज: sagar thayat won gold medel in world paralampic
Image: sagar thayat won gold medel in world paralampic (Source: Social Media)

: देवभूमि के सागर थायत ने कमाल कर दिया। सागर ने जूनियर वर्ल्ड पैरालंपिक खेल में देश के लिए गोल्ड मेडल जीता है। विदेशी धरती पर अपने खेल का लोहा मनवाने वाले सागर थायत दोनों पैरों से दिव्यांग हैं, पर उन्होंने इस कमी को कभी अपने हौसले पर हावी नहीं होने दिया। सागर ने गोला फेंक कंपटीशन में देश के लिए गोल्ड मेडल जीता है। इस वक्त उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा है। बागेश्वर के छोटे से गांव से निकल कर विदेशी धरती पर जीत का झंडा फहराना आसान नहीं था। सागर के संघर्षों की कहानी जानकर आप भी उन्हें सैल्यूट करने लगेंगे। सागर के पिता लक्ष्मण सिंह गरीब किसान हैं। वो बागेश्वर के गरुड़ ब्लॉक के रहने वाले हैं। सागर का बचपन सामान्य बच्चों की तरह बीता। वो विकलांग नहीं थे। पढ़ाई के साथ-साथ उनकी खेल में भी रुचि थी। जिसके चलते उनका सेलेक्शन देहरादून के स्पोर्ट्स कॉलेज में हो गया। कक्षा 6 की पढ़ाई के दौरान वो दून आ गए। पर दून में उनके साथ एक ऐसा हादसा हो गया, जिसने उन्हें जिंदगी भर के लिए विकलांगता का दर्द दे दिया।

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घटना 7 साल पहले की है। सागर अपने स्कूल से हॉस्टल लौट रहे थे। इसी दौरान सागर को रास्ते में एक बक्सा मिला। अनहोनी से बेखबर सागर उसे अपने साथ ले आए। जैसे ही उन्होंने बॉक्स को खोला, उसमें विस्फोट हो गया। दरअसल बॉक्स में डायनामाइट रखा हुआ था। धमाके में सागर ने अपने दोनों पैर गंवा दिए। एक साल तक उनका इलाज चला। सागर की जिंदगी मुश्किल जरूर हो गई, पर उन्होंने खेलों से ध्यान नहीं हटाया। साल 2016 में उन्होंने चक्का और गोला फेंक प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेने की तैयारी शुरू की। पढ़ाई भी करते रहे। सागर की मेहनत रंग लाई और वो स्विटजरलैंड के नोटविल में हुई जूनियर वर्ल्ड पैरालंपिक के लिए सेलेक्ट होने के साथ ही बेहतरीन खेल के दम पर गोल्ड मेडल हासिल करने में सफल रहे। नोटविल में हुई प्रतियोगिता में देश के 23 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था। सागर थायत उत्तराखंड से सेलेक्ट होने वाले अकेले खिलाड़ी थे। राज्य समीक्षा टीम की तरफ से उन्हें बधाई, उम्मीद है उनकी ये कहानी दूसरे लोगों को भी कभी हार ना मानने की प्रेरणा देगी।