उत्तराखंड Badrinath highway may close for long time

उत्तराखंड: लंबे वक्त के लिए बंद हो सकता है बदरीनाथ हाईवे, लामबगड़ से मिल रहे हैं बुरे संकेत

बदरीनाथ हाईवे पांच दिन की कड़ी मशक्कत के बाद खोला गया है लेकिन लामबगड़ में पहाड़ी के ऊपर से बुरे संकेत मिलते दिख रहे हैं।

Badrinath highway: Badrinath highway may close for long time
Image: Badrinath highway may close for long time (Source: Social Media)

: उत्तराखंड का बदरीनाथ धाम करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है, हर साल लाखों श्रद्धालु बदरीनाथ के दर्शन करने उत्तराखंड आते हैं। ये उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन का आधार है, पर इन दिनों बदरीनाथ पहुंचने में श्रद्धालुओं को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बदरीनाथ हाईवे अवरुद्ध है, पहाड़ों से लगातार बोल्डर और मलबा गिर रहा है, जिस वजह से गाड़ियों को रास्ते में ही रोकना पड़ा। सैकड़ों यात्री रास्ते में फंसे रहे। उन्हें पैदल रास्ते से आवाजाही कराई गई। अब जो खबर सामने आई है, उसे सुनकर यात्रियों की परेशानी और बढ़ सकती है। लगातार हो रहे भूस्खलन से बदरीनाथ हाईवे किसी भी वक्त लंबे समय के लिए बंद हो सकता है। लामबगड़ पहाड़ी के ऊपरी हिस्से में एक बड़ी दरार दिख रही है, जिसने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। प्रशासन ने लामबगड़ पहाड़ी के जियोलॉजिकल सर्वे की मांग की है, ताकि भविष्य में होने वाले नुकसान से बचा जा सके।

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लामबगड़ क्षेत्र भूस्खलन जोन है। पिछले दो दशक से इस इलाके में लगातार भूस्खलन हो रहा है। जिस वजह से सुचारु तीर्थयात्रा एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। जरा सी बारिश होते ही भूस्खलन शुरू हो जाता है, सड़कों पर मलबा-बोल्डर जमा हो जाते हैं, जिस वजह से यात्रा प्रभावित होती है। इससे निपटने के लिए कई प्रयास किए गए, पर कोई नतीजा नहीं निकला। हाईवे की मरम्मत का काम पहले बीआरओ के पास रहा, साल 2017 में प्रदेश सरकार ने इसका जिम्मा लोनिवि को दे दिया। हालात फिर भी नहीं सुधरे। पिछले डेढ़ साल से अलकनंदा साइड से हाईवे की मरम्मत का काम चल रहा है। पर इससे फायदा नहीं होगा, क्योंकि भूस्खलन रुक नहीं रहा। हाल में हुई बारिश की वजह से लामबगड़ चट्टान के ऊपरी हिस्से में दरार आ गई है। जिस वजह से पहाड़ी का बड़ा हिस्सा दरक कर हाईवे पर आ सकता है। ऐसा हुआ तो बदरीनाथ यात्रा लंबे समय के लिए रोकनी पड़ेगी। प्रशासन भी परेशान है। एसडीएम ने अपनी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी है। उन्होंने लामबगड़ के जियोलॉजिकल सर्वे की मांग की, ताकि भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र के ट्रीटमेंट में मदद मिल सके।