उत्तराखंड देहरादूनInauguration of tapovan hiranyagarbha art gallery at gangotri

देवभूमि को मिली नई पहचान, आर्ट गैलरी के रूप में दुनिया को दिया बेशकीमती तोहफा

हिमालय, प्रकृति और लोक संस्कृति से प्यार करने वालों के लिए तपोवन हिरण्यगर्भ आर्ट गैलरी अनमोल धरोहर है...

tapovan hiranyagarbha art gallery: Inauguration of tapovan hiranyagarbha art gallery at gangotri
Image: Inauguration of tapovan hiranyagarbha art gallery at gangotri (Source: Social Media)

देहरादून: हिमालय, प्रकृति और संस्कृति से प्यार करने वाले लोगों के लिए तपोवन हिरण्यगर्भ आर्ट गैलरी के दरवाजे आज से खुल गए। उत्तरकाशी के गंगोत्री धाम में बनी आर्ट गैलरी एवं योग ध्यान केंद्र का लोकापर्ण सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत ने किया। जो लोग हिमालय को करीब से महसूस करना चाहते हैं, उनके लिए ये आर्ट गैलरी गागर में सागर जैसी है। आर्ट गैलरी में हिमालय की गुफाओं, घाटियों, यहां की संस्कृति और लोकजीवन पर आधारित एक हजार तस्वीरें हैं। आर्ट गैलरी के निर्माण का श्रेय जाता है प्रसिद्ध फोटोग्राफर और संन्यासी स्वामी सुंदरानंद को। आर्ट गैलरी का संचालन फिलहाल स्वामी सुंदरानंद ही करेंगे। बाद में इसके संचालन के लिए समिति गठित की जाएगी। समिति में आरएसएस के स्वयं सेवक भी होंगे।

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उत्तरकाशी में हुए लोकापर्ण समारोह में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि आर्ट गैलरी के जरिए लोग गंगोत्री घाटी में पिछले 72 साल में आए बदलावों की झांकी देख सकेंगे। स्वामी सुंदरानंद ने विश्व को अनमोल धरोहर सौंपी है। जो कि सदियों तक पर्वतारोहियों और पर्वतारोहियों का मार्गदर्शन करती रहेगी। आर्ट गैलरी में गोमुख और गंगोत्री ग्लेशियर के 50 हजार से ज्यादा फोटो हैं। 70 साल के दौरान गंगोत्री क्षेत्र में आए बदलावों को इन चित्रों में देखा जा सकता है। यहां पर आपको स्वामी सुंदरानंद के विषय में भी जानना चाहिए। उनका जन्म साल 1926 में आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में हुआ था। पहाड़ उन्हें हमेशा से लुभाते थे। साल 1947 में उन्होंने घर छोड़ दिया। अगले साल 1948 में गंगोत्री पहुंचे और यहां आकर संन्यास ले लिया। साल 2002 में उन्होंने हिमालय दर्शन पर एक पुस्तक लिखी। नाम है 'थ्रू द लेंस ऑफ ए साधु'। आर्ट गैलरी के माध्यम से उन्होंने हिमालय प्रेमियों को बड़ी सौगात दी है। इस वक्त वो अस्वस्थ हैं, बेड पर होने के बावजूद उन्होंने लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आर्ट गैलरी के जरिए उन्होंने प्रकृति में ईश्वर की तलाश की है।