देहरादून: देहरादून में दहेज के लिए पत्नी को बेहरमी से मारने वाले हत्यारे पति को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। दोषी सचिन मिश्रा की पूरी जिंदगी अब जेल में बीतेगी। कोर्ट ने उस पर डेढ़ लाख का आर्थिक दंड भी लगाया है। मामला 2011 का है। मूलरूप से बंदायू के रहने वाले सचिन की शादी कमलेश उर्फ कनक से हुई थी। शादी के बाद से ही सचिन उसे दहेज के लिए तंग करने लगा। पति के जुल्म बढ़ने लगे, पर कमलेश चुप रहकर सब कुछ सहती रही। इसी बीच सचिन ने पत्नी को रास्ते से हटाने की प्लानिंग शुरू कर दी। शातिर सचिन मिश्रा ने अपनी पत्नी कमलेश से घूमने चलने को कहा। कमलेश को लगा कि शायद पति को उस पर रहम आने लगा है, पर सचिन के इरादे तो कुछ और ही थे। 8 अक्टूबर 2011 को वो कमलेश को घुमाने के बहाने गंगोत्री-यमुनोत्री लेकर गया। 13 अक्टूबर 2011 को वो उसे मसूरी लाया और गन हिल के पीछे एक पहाड़ी से पत्नी कमलेश को धक्का दे दिया। पहाड़ी से गिरने के बाद भी जब कमलेश बच गई तो सचिन ने दरिंदगी की सारी हदें पार करते हुए, कमलेश को पत्थर से कुचलकर मार डाला।
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हत्या के बाद पति ने लाश को झाड़ियों में छुपा दिया। कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोषी पति सचिन को एडीजे चतुर्थ कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस मामले में 12 गवाहों के बयान हुए थे। देहरादून-ऋषिकेश पुलिस के सबूतों के आधार पर सचिन को धारा 302 में आजीवन कारावास और धारा 201 के तहत 7 साल की अतिरिक्त सजा सुनाई गई। वहीं मृतक कमलेश के परिजन इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। कमलेश के पिता ने कहा कि जिस तरह सचिन ने उनकी नवविवाहिता बेटी को साजिश के तहत निर्ममता से मार डाला, उसके लिए सचिन को फांसी की सजा होनी चाहिए थी। मैंने लाडली की शादी में 12 लाख रुपये खर्च किए थे, लालची दामाद की डिमांड फिर भी बढ़ती गई। बाद में मैंने सचिन मिश्रा को ढाई लाख रुपये और दिए। इसके बावजूद सचिन ने मेरी बेटी को बेहरमी से मार डाला। ऐसे दरिंदे को फांसी होनी चाहिए।