उत्तराखंड नैनीतालblack rice farming first time in Uttarakhand

शाबाश नरेंद्र..देवभूमि के किसान ने गांव में उगाया ब्लैक राइस, विदेशी मार्केट में है बड़ी डिमांड

नैनीताल के किसान नरेंद्र मेहरा को ब्लैक राइस उगाने में सफलता मिली है, जानिए ब्लैक राइस के फायदे...

black rice: black rice farming first time in Uttarakhand
Image: black rice farming first time in Uttarakhand (Source: Social Media)

नैनीताल: उत्तराखंड के काश्तकार अब राज्य में काले चावल की खेती कर सकेंगे। नैनीताल के रहने वाले किसान नरेंद्र सिंह मेहरा को काला धान उगाने में सफलता मिली है। अब तक इसकी खेती सिर्फ मणिपुर और असम में होती थी। काले धान को चाको हाओ के नाम से भी जाना जाता है। औषधीय गुणों की खान माने जाने वाले इस चावल की बाजार में खूब मांग है। गौलापार के रहने वाले प्रगतिशील किसान नरेंद्र सिंह मेहरा ने इसकी खेती कर साबित कर दिया, कि उत्तराखंड में भी काले धान की पैदावार हो सकती है। क्षेत्र के किसान अगर काले धान की खेती करें तो इससे उनकी आमदनी में कई गुना इजाफा होगा। सामान्य चावल की कीमत बाजार में 25 से 150 रुपये किलो है, जबकि ब्लैक राइस का दाम 250 रुपये प्रति किलो से शुरू होता है। इंटरनेशनल मार्केट में इसकी खूब डिमांड है, और वहां इसकी कीमत 600 रुपये प्रति किलो तक मिल जाती है।

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साल 2015 में काले चावल की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए असम सरकार ने विशेष प्रोग्राम भी चलाया था। विश्वस्तर पर काले चावल की बढ़ती मांग को देखते हुए प्रदेशों की सरकारों ने किसानों को मुफ्त में इसका बीज उपलब्ध कराया था। किसान नरेंद्र मेहरा भी ब्लैक राइस की खेती करना चाहते थे। उन्होंने छत्तीसगढ़ से ब्लैक राइस का 150 ग्राम बीज मंगाया, इसके बीज की कीमत 1500 रुपये प्रति किलो है। नरेंद्र मेहरा कहते हैं कि प्रति एकड़ में ब्लैक राइस की 18 से 20 क्विंटल तक पैदावार हो सकती है। इसे सिंचाई के लिए ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती और सिर्फ 135 दिन में फसल पक कर तैयार हो जाती है। ब्लैक राइस में कई औषधीय गुण है। कार्बोहाईड्रेट की मात्रा कम होने की वजह से ये शुगर रोगियों के लिए फायदेमंद रहता है। हाई बीपी, हृदय रोग, हाई कोलेस्ट्रॉल, आर्थराइटिस और एलर्जी में भी ब्लैक राइस का सेवन लाभ पहुंचाता है।