पौड़ी गढ़वाल: उत्तराखंड के पौड़ी जिले में पलायन को पछाड़ने के लिए एक अनोखी पहल हो रही है। पौड़ी में एक गांव है कमेडा, इस गांव के युवाओं ने सालों से बंजर जमीन को उपजाऊ बनाकर इस पर रोजगार की फसल उगाई है। युवाओं की मेहनत रंग ला रही है, गांव के युवा अब रोजगार के लिए दूसरे शहरों की खाक छानने की बजाय अपने गांव-खेतों को आबाद करने में जुटे हैं। गांव में करीब 50 नाली जमीन है, जो कि सालों से बंजर पड़ी थी। गांव वाले भी खेती-किसानी नहीं कर रहे थे। युवा भी रोजगार की तलाश के लिए पलायन कर गए थे। ऐसे में गांव के ही कुछ युवाओं ने बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने की ठानी। मेहनत रंग लाई और जो जमीन पिछले 25 साल से बंजर पड़ी थी। उस पर अब फसल लहलहा रही है। यहां मटर, गाजर, मूली, राई और दूसरी सब्जियां बोयी गई हैं। खेतों में काम करने और इनकी देखभाल के लिए 15 से 20 क्षेत्रीय महिलाओं को काम दिया जा रहा है। 5 लोगों को मासिक वेतन पर रखा गया है।
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युवाओं की मुहिम के अच्छे नतीजे देखने को मिल रहे हैं। गांव के रहने वाले प्रमोद कहते हैं कि गांव में जमीन और पानी की कोई कमी नहीं है, पर क्योंकि गांव के लोग शहर में नौकरी करने चले गए हैं, इसीलिए खेत सालों से बंजर पड़े थे। उन्होंने गांव में खेती के जरिए रोजगार के मौके पैदा करने के अवसर तलाशे। जमीन को उपजाऊ बनाकर सबसे पहले यहां हल्दी बोयी। अब 20 नाली खेत में मटर की फसल बोयी गई है, जो कि एक महीने में फल देना शुरू कर देगी। गांव के ही रहने वाले अनूप गुसांई कहते हैं कि हम खेती में तकनीक की भी मदद ले रहे हैं, कृषि विभाग भी मदद कर रहा है। कमेडा गांव में जो कोशिश हो रही है, उसके अच्छे नतीजे दिख रहे हैं। यहां के युवा खेती के जरिए स्वरोजगार अपनाकर पलायन को मात दे रहे हैं, पहाड़ के दूसरे गांवों में भी ऐसे प्रयास होने चाहिए।