उत्तराखंड नैनीतालMushrooms waste materials being used for compost

देवभूमि के इस किसान ने कमाल कर दिया..मशरूम से अच्छी कमाई, मशरूम के वेस्ट से भी कमाई

मशरूम वेस्ट जैसी बेकार चीजों का बेहतर इस्तेमाल कैसे करना है, ये कोई नरेंद्र मेहरा से सीखे...

Mushrooms waste: Mushrooms waste materials being used for compost
Image: Mushrooms waste materials being used for compost (Source: Social Media)

नैनीताल: उत्तराखंड में काश्तकार मशरूम उत्पादन कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं, लेकिन इनमें एक किसान ऐसा भी है जो मशरूम तो उगाता ही, साथ ही उसके वेस्ट का बेहतर इस्तेमाल भी करता है। इसी को कहते हैं आम के आम और गुठलियों के दाम। इस किसान का नाम है नरेंद्र मेहरा। नरेंद्र हल्द्वानी के गौलापार इलाके में रहते हैं। वो मशरूम के वेस्ट से ऑर्गेनिक खाद बनाते हैं। बेकार चीजों का बेहतर इस्तेमाल कैसे करना है, ये कोई नरेंद्र मेहरा से सीखे। नरेंद्र कहते हैं कि मशरूम के वेस्ट से ऑर्गेनिक खाद बनाने के कई फायदे हैं। खाद से फसल तो अच्छी होती ही है, साथ ही पॉल्यूशन भी खत्म होता है। नरेंद्र बताते हैं कि पहले किसान मशरूम उत्पादन के बाद उसके वेस्ट को इधर-उधर फेंक देते थे। सड़े भूसे से गंदगी फैलती थी, बदबू आती थी।

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ये सिर्फ और सिर्फ प्रदूषण फैलाने का काम करता था। मशरूम का वेस्ट खेतों के लिए भी नुकसानदायक साबित हो रहा था। इसी बीच नरेंद्र ने इस वेस्ट को रिसाइकिल कर ऑर्गेनिक खाद तैयार करने की सोची। उन्होंने आस-पास के मशरूम उत्पादकों से वेस्ट को इकट्ठा करना शुरू किया। इसे डी-कंपोज किया और कुछ महीनों की मेहनत के बाद ऑर्गेनिक खाद बनकर तैयार हो गई। इस खाद में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम की भरपूर मात्रा होती है, जो मिट्टी की सेहत सुधारती है। इसे उपजाऊ बनाती है। वेस्ट को रिसाइकिल करने के बाद 3 महीने में ऑर्गेनिक खाद तैयार हो जाती है। नरेंद्र गौलापार इलाके में रहते हैं, वो अब दूसरे किसानों को भी वेस्ट रिसाइकिल करने का सुझाव दे रहे हैं। किसान नरेंद्र की पहल से मशरूम के वेस्ट का बेहतर इस्तेमाल हो रहा है, प्रदूषण कम हो रहा है, साथ ही किसानों को ऑर्गेनिक खाद भी मिल रही है।