पिथौरागढ़: 11 साल का विजय कुमार...खेल महाकुंभ का नया चैंपियन। इस बच्चे ने पिथौरागढ़ में हुए खेल महाकुंभ में एक के बाद एक कई खेलों में पदक जीते। 60 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता। खो-खो, कबड्डी और लंबी कूद में दूसरा स्थान हासिल कर सिल्वर मेडल हासिल किया। आज ये बच्चा जिलास्तर पर चैंपियन बना है, कल स्टेट, नेशनल और फिर इंटरनेशनल स्तर पर खेल सकता है। आज हम विजय को चैंपियन के रूप में देख रहे हैं, लेकिन उसके यहां तक पहुंचने की कहानी आम पहाड़ी बच्चे की तरह तकलीफों और संघर्ष से भरी है। विजय चंपावत जिले के लोहाघाट का रहने वाला है। छह भाई-बहनों के परिवार में विजय चौथे नंबर का बेटा है। कुछ साल पहले विजय की मां मंजू देवी का निधन हो गया था। उस वक्त विजय सिर्फ 9 साल का था। पिता की माली हालत खस्ता थी। इसीलिए विजय को उसकी बड़ी बहन के घर भेज दिया गया। जबकि दूसरे भाई-बहन चाचा-चाची के घर रहने लगे। दीदी के घर में रह रहे विजय को उसके जीजा ने पिथौरागढ़ के एक होटल में काम पर लगा दिया। वहां विजय जूठे बर्तन धोने लगा। उसके साथ सब बुरा व्यवहार करते थे, जब सहा नहीं गया तो विजय एक दिन वहां से भागकर खटीमा चला गया। वहां भी होटल में काम करने लगा। पर मन वहां भी नहीं लगा।
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बाद में विजय किसी तरह पिथौरागढ़ वापस आ गया। जहां एक महिला ने उसकी मदद की। उसे जिला कल्याण बोर्ड के पास भेजा। बाल कल्याण बोर्ड ने विजय को घनश्याम ओली चाइल्ड वेलफेयर सोसायटी के सुपुर्द कर दिया। सोसायटी के अध्यक्ष अजय ओली और गिरीश ओली ने चार महीने पहले ही विजय का एडमिशन प्राथमिक स्कूल बास्ते में कराया। इस तरह विजय की पढ़ाई शुरू हुई। महज चार महीने पहले स्कूल में दाखिल हुए विजय कुमार ने जिला स्तरीय खेल महाकुंभ में हिस्सा लिया और एक के बाद एक 4 पदक झटक लिए। बचपन में ही अपनी मां को खो चुका विजय भविष्य में अच्छा एथलीट बनना चाहता है। वो कहता है कि गरीब लोगों को अपने बच्चों को काम पर लगाने की बजाए उन्हें पढ़ाई के लिए प्रेरित करना चाहिए, क्योंकि ये उनकी जिंदगी का सवाल है। आपको बता दें कि पिथौरागढ़ में 15 से 20 दिसंबर तक खेल महाकुंभ का आयोजन हुआ था। जिसमें विजय ने अलग-अलग खेलों में गोल्ड और सिल्वर मेडल जीतकर अपने स्कूल का मान बढ़ाया।