उत्तराखंड देहरादूनdehradun wing commander Anupama joshi struggled

धन्य हैं देहरादून की विंग कमांडर अनुपमा जोशी, इनकी बदौलत सेना में परमानेंट कमीशन पाएंगी बेटियां

सेना में महिलाओं के स्थायी कमीशन का रास्ता साफ हो गया है। इस जीत का श्रेय काफी हद तक देहरादून की रहने वाली विंग कमांडर अनुपमा जोशी (wing commander Anupama joshi) को जाता है।

wing commander Anupama joshi: dehradun wing commander Anupama joshi struggled
Image: dehradun wing commander Anupama joshi struggled (Source: Social Media)

देहरादून: बेटियां, बेटों से कम नहीं...ये लाइन हमें अक्सर सुनने को मिलती है, लेकिन समाज इसे आज भी दिल से स्वीकार नहीं कर सका है। बेटियां हर क्षेत्र में अपनी काबिलियत साबित कर रही हैं, इसके बावजदू उन्हें अपना हर अधिकार हासिल करने के लिए पुरुषों की अपेक्षा दोगुनी मेहनत करनी पड़ती है। कार्यस्थल में भी उन्हें अपेक्षाकृत कम मौके दिए जाते हैं। ऐसा ही एक फील्ड है डिफेंस सर्विर्सेज, जहां पहले की अपेक्षा महिलाओं की स्थिति काफी मजबूत हुई है, लेकिन यहां भी उन्हें स्थायी कमीशन हासिल करने के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। अब सेना में महिलाओं के स्थायी कमीशन का रास्ता साफ हो गया है। इस जीत का श्रेय काफी हद तक देहरादून की रहने वाली विंग कमांडर अनुपमा जोशी (wing commander Anupama joshi) को जाता है। जिन्होंने महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन दिलाने के लिए लंबा संघर्ष किया। आगे पढ़िए

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अनुपमा जोशी (wing commander Anupama joshi) देश की उन महिला ऑफिसर्स में शुमार हैं, जिन्होंने 1993 में भारतीय एयरफोर्स ज्वाइन की थी। वायुसेना में महिला अधिकारियों का यह पहला बैच था। अनुपमा स्थायी कमीशन चाहती थीं, पर उन्हें टुकड़ों में एक्सटेंशन मिलता रहा, जिससे वो परेशान हो गईं। साल 2002 में उन्होंने इसके लिए अपने सीनियर अधिकारियों से लिखित में जवाब मांगा, लेकिन जवाब नहीं मिला। उन्होंने साल 2006 में स्थायी कमीशन को लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल की। 2008 में वह रिटायर हो गईं, लेकिन उनका संघर्ष जारी रहा। बाद में हाईकोर्ट ने महिला अफसरों के हक में फैसला दिया। हाईकोर्ट के फैसले के नौ साल बाद 10 विभागों में महिला अफसरों को स्थायी कमीशन देने की नीति बनाई गई, लेकिन कहा गया कि मार्च-2019 के बाद से सर्विस में आने वाली महिला अफसरों को ही इसका फायदा मिलेगा। यानि जिन महिलाओं ने इसके लिए लड़ाई लड़ी थी, वो स्थायी कमीशन पाने से वंचित रह गईं। आगे भी पढ़िए

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अब सुप्रीम कोर्ट ने स्थायी कमीशन पर ऐतिहासिक फैसला दिया है। जिसके बाद सेना में पहले से कार्यरत महिलाओं को भी स्थायी कमीशन मिलेगा। अनुपमा कहती हैं कि महिलाओं के हक की लड़ाई में उन्हें परिवार का पूरा सपोर्ट मिला। उनके पति अशोक शेट्टी भी वायुसेना से विंग कमांडर के पद से रिटायर हैं। बेटा अगस्त्य भी एक कमर्शियल पायलट है। रिटायरमेंट के बाद अनुपमा देश के प्रतिष्ठित द दून स्कूल में डायरेक्टर पर्सनल के पद पर कार्यरत हैं। साथ ही समाजसेवा के कार्यों से भी जुड़ी हुई हैं। अनुपमा (wing commander Anupama joshi) कहती हैं कि महिलाएं अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए लगातार प्रयास करती रहें, भविष्य में क्या होगा इससे ना डरें। यकीन रखें कि ऐसा वक्त भी आएगा, जब लोग आपके विचारों को सुनेंगे। आपके प्रयास ही आपको मंजिल तक पहुंचाएंगे।